जैसलमेर। देशमेें गौ-हत्या, गौ तस्करी और बीफ को लेकर देश-प्रदेश में कई बार बवाल हो चुका है। चुनावों में यह मुद्दा ना केवल बार-बार उठता रहता है, बल्कि देश की कानून व्यवस्था और शांति को भी तार-तार करने से नहीं चूकता है। उत्तरप्रदेश के दादरी गांव में हुआ हत्याकाण्ड इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जब एक उन्मादी भीड़ ने एक परिवार पर हमला करके उसके मुखिया को मार डाला। वो भी बिना कोई सोचे-समझे, सिर्फ एक अफवाह पर। देश में गौवंश पर अत्याचार और संरक्षण के नाम पर हो रही राजनीति के बीच राजस्थान के जैसलमेर जिले से एक सामाजिक सौहार्द, भाईचारे और एकता की सीख देने की खबर है। एक बुजुर्ग मुस्लिम सालों से गायों की सेवा करके उन राजनीतिक दलों और समूह को आईना दिखा रहे हैं, जो बिना किसी लालच और स्वार्थ के दिन-रात सिर्फ गायों की सेवा में लगा है। यह गौभक्त मुस्लिम है हाजी मेहरदीन, जो करीब दो दशक से गायों की सेवा में तल्लीन है। रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखकर हाजी मेहरदीन पूरे शहर में भूखे प्यासे घूम-घूम कर गायों के लिए घर-घर से रोटियां मांगते हैं। फिर एक गौशाला में इन रोटियों को गायों को खिलाते हैं। एक सच्चे मुसलमान के लिए रमजान पवित्र महीना इबादतों वाला होता है। इस पूरे महीने वो रोजा रख खुदा की इबादत करता है। पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर मालिक की राह में त्याग करने की मिसाल पेश करता है। हाजी मेहरदीन रोजा रख गायों के लिए रोटियां मांगते हैं। वो कहते हैं कि रोजा मैंने रखा, ना कि गायों ने। इसलिए वे सुबह से ही गायों के खाने का प्रबंध करने के लिए घर-घर जाकर रोटी मांगने निकल पड़ते हैं। सुबह की पहली किरण के साथ ही लोग भी हाथ में घंटी बजाते और रिक्शा लेकर हाजी मेहरदीन के आने का इंतजार करते रहते हैं। यह सिलसिला करीब दो दशक से अनवरत चलता आ रहा है। शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जब वे नहीं आए हो। त्योहार हो या घर-परिवार में कोई विशेष कार्यक्रम, वे गायों के लिए रोटी मांगना नहीं छोड़ते हैं। शहर की हर गली में जाकर जैसे घण्टी बजेगी हर घर से लोग रोटियां लेकर निकलेंगे और हाजी के हाथों में देंगे। हाजी ये रोटियां उन गायों को जीवन देने के लिए एकत्र करता है, जिन्हें लोग आवारा छोड़ते देते हैं या बीमार गायों को। हाजी कहते हैं कि उन्हें गायों की सेवा से बड़ा सकुन मिलता है। मौसम और परिस्थितियां चाहे कैसी हो यह अपने कर्म को अंजाम देते हैं। हाजी मुस्लिम होते हुए भी उसका गौ प्रेम अनोखा है और पूरे शहर में लोगों की जुबान पर है। रोटियां लेकर एक-एक गायों को अपने हाथों से खिलाते हैं। गौमाता का भक्त मेहरदीन रोटी के साथ-साथ गुड़ और नकदी राशि भी जमा करते है। सवेरे तकरीबन 7 बजे से प्रारंभ हुआ मेहरदीन का सफर दोपहर 12 बजे तक थम जाता है। मेहरदीन का शहर की गलियों से रोटी लेने के लिए अलग-अलग समय बंटा हुआ है। प्रतिदिन तय समय के अनुसार ही वह रोटी लेने के लिए निर्धारित गलियों तक पहुंचते हैं। रोज 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। रोटियां लेने के बाद वह शाम को राजस्थान गौसेवा संग की गौशाला में पहुंचते हैं और वहां तीन घंटे तक गायों को रोटियां खिलाने के साथ उनकी सेवा भी करते हैं। इसके बाद शाम को रोजा खोलते हैं। गौ-हत्या और गौवंश के नाम पर देश-प्रदेश में हो रही राजनीति और बवाल के बीच हाजी मेहरदीन का गो-सेवा का यह कार्य बड़ी सीख देता है।

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