– कांग्रेस लीडर पंकज शर्मा काकू ने प्रेसवार्ता करके जलदाय घोटाले में मंत्री किरण माहेश्वरी, एसीएस जेसी मोहंती, सचिव संदीप वर्मा पर आपराधिक षड्यंत्र करके दागी फर्म को क्लीनचिट देने और जनहित में रोके गए अरबों रुपयों के टेण्डर की मंजूरी दिलवाई।
– फर्म विष्णु प्रकाश आर पोंगलिया लिमिटेड जोधपुर को ब्लैकलिस्ट करने, और एक अन्य मामले में फर्म पर एसीबी में मुकदमा दर्ज करने के दिए थे आदेश, लेकिन मिलीभगत करके फर्म पर कार्रवाई नहीं होने दी।
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। राजस्थान सरकार के जलदाय विभाग के बहुचर्चित 145 करोड़ रुपए के घोटाले में आपराधिक मुकदमों का सामना कर रही और विभाग की जांच रिपोर्ट में भी दोषी करार दे चुकी फर्म विष्णु प्रकाश आर पोंगलिया लिमिटेड जोधपुर को फायदा पहुंचाने और क्लीनचिट दिलाने में जलदाय विभाग की तत्कालीन जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी की भूमिका पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। इसमें विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव जेसी मोहंती की मिलीभगत भी सामने आई है। दस्तावेज के मुताबिक इस फर्म के खिलाफ एक जांच में भ्रष्टाचार और घोटाले की बात सामने आने पर किरण माहेश्वरी और जेसी मोहंती ने एसीबी में फर्म और उसके निदेशकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे, लेकिन डेढ़ साल गुजरने के बाद ना मंत्री किरण माहेश्वरी और ना ही जेसी मोहंती ने दोषी फर्म के खिलाफ अपने ही आदेश को आगे बढ़ाया, बल्कि इस आदेश को ठण्डे बस्ते में डालकर दोषी फर्म को क्लीनचिट भी दे दी गई। यहीं नहीं जलदाय विभाग में कुछ अन्य मामलों में इस फर्म के खिलाफ करोड़ों रुपए की रिकवरी, फर्जी दस्तावेज से निर्माण टर्नओवर देने, टेण्डरों में फर्जी दस्तावेज पेश करने जैसे आरोप भी सामने आ चुके हैं। इसके बावजूद सरकार के मंत्री और जलदाय विभाग के आला अफसर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में दोषी इस फर्म को बचाने में लगे रहे और इसे अरबों रुपए के वर्क ऑर्डर भी जनहित के काम पर जारी कर दिए गए। इस फर्म और विभाग के अफसरों के खिलाफ एक मामला एसीबी और दूसरा मामला जयपुर शहर के गांधी नगर थाने में चल रहा है।

-हाईकोर्ट के आदेश पर जांच हुई, जिसमें फर्म को माना दोषी
फर्म विष्णु प्रकाश आर पोंगलिया लिमिटेड जयपुर के खिलाफ एक मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने 12 जुलाई, 2016 को जांच के आदेश दिए थे कि इस फर्म को नोटिस देकर फर्म के जवाब के परिप्रेक्ष्य में कार्रवाई की जाए। जलदाय विभाग ने चीफ इंजीनियर सीएम चौहान की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर हाईकोर्ट के आदेश की पालना में जांच की गई। कमेटी ने आठ पेज की रिपोर्ट में माना है कि विष्णु प्रकाश पोंगलिया फर्म ने वर्ष 2012-13 के दौरान निर्माण टर्नओवर के फर्जी दस्तावेज पेश करके अरबों रुपयों के निर्माण ठेके हासिल किए। फर्म ने निर्माण टर्न ओवर के फर्जी दस्तावेज के आधार पर ये ठेके लिए थे। जांच में कमेटी ने 16-09-16 को इस आधार पर फर्म के ठेके निरस्त करते हुए इस फर्म की धरोहर राशि जब्त करने एवं फर्म को ब्लैकलिस्ट करने की अनुशंषा विभाग की वित्त समिति को की थी, लेकिन वित्त समिति ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और गहनता से जांच रिपोर्ट देने को कहा। गहनता से जांच के लिए कमेटी सदस्य एसीएफ अशोक गर्ग ने चीफ इंजीनियर चौहान से कंपनी के वर्क ऑर्डर और वर्क संबंधित दस्तावेज मांगे, ताकि समस्त जांच की जा सके। लेकिन चौहान ने इस पर रोक लगा दी और अशोक गर्ग को निर्देश दिए कि 24-11-16 को इस प्रकरण में तत्कालीन जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी एवं सचिव संदीप वर्मा के साथ दिनांक 15-11-16 को हुई वार्ता के अनुसार प्रकरण को प्रेषित करने के निर्देश दिए यानि जिस फर्म को दोषी मान लिया था और ब्लैकलिस्ट करने की रिपोर्ट दे दी गई, उस फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए जलदाय मंत्री और सचिव ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करके फर्म के खिलाफ चल रही कार्रवाई को ड्रॉप करवा दिया।

– कार्रवाई करने के बजाय क्लीनचिट दे दी
विभाग की जांच कमेटी ने जिस फर्म को ब्लैक लिस्ट करने और धरोहर राशि जब्त करने के आदेश दिए थे, उस फर्म के खिलाफ कार्रवाई बंद करके उसके रोके गए कार्यों को जनहित के नाम पर फिर से दे दिए गए। यहीं नहीं उसे दूसरे वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिए गए। क्लीन चिट की यह पूरी प्रक्रिया वित्त समिति की अध्यक्षता करने वाले एसीएस जेसी मोहंती की बैठक में पूरी हुई।

– सरकार ले सकती है जनहित का फैसला, सदन पटल पर रखना जरुरी
145 करोड़ रुपए के जलदाय घोटाले को उजागर करने वाले कांग्रेस नेता और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अभाव अभियोग प्रकोष्ठ के संयोजक पंकज शर्मा काकू ने शनिवार को मीडिया को बताया कि जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी, एसीएस जेसी मोहंती, सचिव संदीप वर्मा ने दागी फर्म पर कार्रवाई करने के बजाय उसे क्लीन चिट दिलवाई, बल्कि रोके गए कार्यों को भी जनहित के आधार पर चालू करवा दिए गए, जो विधि विरुद्ध और आपराषित षड्यंत्र को दर्शाता है। काकू ने कहा कि आरटीपीपी एक्ट की धारा 58 के अनुसार, जनहित में निर्णय केवल राज्य सरकार ही ले सकती है। वह उसे भी गजट नोटिफाई कर इसे विधानसभा पटल से पारित करवाना जरुरी है, जबकि विभाग ने ना तो गजट नोटिफाई करवाया और ना ही विधानसभा पटल से स्वीकृति ली। ना ही राज्य सरकार से इस बारे में इजाजत ली।

– एसीबी में मुकदमा दर्ज नहीं होने दिया
पंकज शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि 17अप्रेल, 2015 को तत्कालीन जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी और प्रमुख शासन सचिव जेसी मोहंती ने भ्रष्टाचार और घोटाले के एक अन्य प्रकरण में विष्णु प्रकाश आर पोंगलिया फर्म को दोषी मानते हुए इस फर्म के विरु्दध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में मामला दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन बाद में फर्म के संचालकों ने मिलीभगत करके इस आदेश को रुकवा लिया और मामले को ठण्डे बस्ते में डलवा दिया। इस आदेश के डेढ़ साल तक किरण माहेश्वरी और जेसी मोहंती जलदाय विभाग में ही रहे, लेकिन दागी फर्म पर कार्रवाई नहीं की, जिससे जाहिर है कि फर्म से मिलीभगत करके इन्होंने कार्रवाई नहीं होने दी और इस फर्म को बचाने में इनकी भूमिका रही। पंकज शर्मा काकू ने आरोप लगाया कि किरण माहेश्वरी और जेसी मोहंती एक तरफ तो अपने आदेश में कह रहे हैं कि फर्म विष्णु प्रकाश आर पोंगलिया के खिलाफ एसीबी में आपराधिक मामला दर्ज करवाया जाए। फिर मंत्री और सचिव संदीप वर्मा के साथ हुई वार्ता का हवाला देकर एसीएस जेसी मोहंती की अध्यक्षता में हुई वित्त समिति की बैठक में इस दागी और भ्रष्टाचार में लिप्त फर्म को जनहित में क्लीनचिट दे दी जाती है। उनका यह कृत्य साफ जाहिर करता है कि दागी फर्म को बचाने के लिए मंत्री से लेकर एसीएस मोहंती, सचिव संदीप वर्मा की मिलीभगत रही है। पंकज शर्मा ने कहा कि इन दस्तावेज के आधार पर तत्कालीन जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी, एसीएस जेसी मोहंती व अन्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा और इस मामले में मंत्री-विभाग के अफसरों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया जाएगा।

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