नई दिल्ली। फर्जी डिग्री विवाद में दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने चुनाव आयोग को कथित रूप से गलत सूचना देने को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को तलब नहीं करने का फैसला किया है। कोर्ट ने देरी का आधार बनाते हुए ईरानी के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। ईरानी के खिलाफ दायर याचिका में कहा था कि उन्होंने चुनाव आयोग को अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में कथित तौर पर झूठी जानकारी दी थी। केंद्रीय कपड़ा मंत्री ईरानी के खिलाफ की गई शिकायत में यह दावा किया कि उन्होंने विभिन्न चुनाव लडऩे के लिए चुनाव आयोग में दाखिल हलफ नामों में अपनी डिग्री के बारे में गलत सूचनाएं दीं है। पिछली सुनवाई में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरविंदर सिंह ने शिकायतकर्ता और स्वतंत्र लेखक अहमर खान की ओर से दी गई दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा, पहली बात ये है कि असली दस्तावेज समय के साथ खो गए हैं और उपलब्ध दस्तावेज मंत्री को समन भेजने के लिए काफ ी नहीं हैं। कोर्ट ने इसमें शिकायतकर्ता की मंशा पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की शिकायत करने में 11 साल लग गए यानी जाहिर है कि मंत्री को परेशान करने की मंशा से शिकायत की गई।

– यह है मामला

पिछले साल कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा कि स्मृति ईरानी ने चुनाव आयोग के सामने तीन शपथ पत्र पेश किए थे। तीनों में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में अलग-अलग जानकारी दी थी। उनकी याचिका के अनुसार अप्रैल 2004 में स्मृति ने कहा था कि उन्होंने बीए की पढ़ाई दिल्ली युनिवर्सिटी के पत्राचार कार्यक्रम से पूरी की। उन्होंने चांदनी चौक से कपिल सिब्बल के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। जुलाई 2011 में गुजरात राज्य सभा चुनाव से पहले एक शपथ पत्र में उन्होंने कहा था कि उन्होंने बीए कॉमर्स पार्ट एक तक पढ़ाई दिल्ली युनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ करस्पॉंडेंस से की। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में अमेठी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को टक्कर देने वाली ईरानी कथित तौर पर कहा था कि उन्होंने बीए कॉमर्स की पढ़ाई दिल्ली युनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से पूरी की है।

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