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सांभर में राहत कार्यों की समीक्षा
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सांभर झील सहित प्रदेश के अन्य वेटलैंड्स के संरक्षण एवं संवद्र्धन कार्यों के लिए राज्य स्तरीय वेटलैंड अथॉरिटी को शीघ्र क्रियाशील करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस अथॉरिटी में शामिल होने वाले विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की सहायता से सांभर झील जैसी वेटलैण्ड्स का संरक्षण करने में मदद मिलेगी तथा जैव विविधता का संवर्धन किया जा सकेगा।

गहलोत मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में सांभर झील क्षेत्र में पक्षियों को बचाने के लिए वृहद स्तर पर चल रहे राहत कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान ही जयपुर, नागौर तथा अजमेर जिला कलक्टरों से वीडियो कांफ्रेंस कर उनके जिलों में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पक्षियों की मृत्यु होना गंभीर चिंता का विषय है। इनको बचाने के लिए किसी तरह की कमी नहीं रखी जाए।

पूर्व में हुई घटनाओं का कराएं अध्ययन

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूर्व में पक्षियों की एकाएक मौत की घटनाओं तथा उन्हें रोकने के लिए किए गए उपायों का अध्ययन एवं विश्लेषण कराएं। जिसके आधार पर भविष्य में ऎसी घटनाओं को प्रभावी रूप से रोका जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने स्तर पर राहत कार्यों में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही। यह अच्छी बात है कि अधिकारी केन्द्र सरकार से तथा पक्षी विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत सभी संस्थानों की भी मदद लेे रहे हैं।

तत्परता से जुटी है एसडीआरएफ, पशुपालन, वन विभाग एवं स्वयंसेवकों की टीम

बैठक में बताया गया कि पशुपालन विभाग के 100 चिकित्सकों एवं नर्सिंगकर्मियों की 20 टीमें पक्षियों को बचाने के लिए जयपुर जिले के सांभर झील क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। साथ ही मृत पक्षियों का वैज्ञानिक निस्तारण किया जा रहा है। वन विभाग के करीब 100 कार्मिक, एसडीआरएफ की टीम तथा स्वयंसेवी संगठनों के स्वयंसेवक पूरी तत्परता के साथ पक्षियों को बचाने में जुटे हुए हैं। करीब 600 पक्षियों को रेस्क्यू कर उन्हें उपचार दिया गया है। इनमें से काफी पक्षियों की स्थिति में सुधार है। इसके साथ ही पशुपालन मंत्री श्री लालचन्द कटारिया, वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री श्री सुखराम विश्नोई ने भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर वहां की स्थितियों का गहन जायजा लिया है।
राहत कार्यों से स्थिति नियंत्रण में

अधिकारियों ने बताया कि मृत पक्षियों के निस्तारण एवं सतत राहत कार्यों से पक्षियों के मरने की संख्या अब काफी कम हो चुकी है। भारतीय वन्यजीव संस्थान, सालीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री तथा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा सांभर साल्ट्स लि. द्वारा नमूने लिए गए हैं। राजस्थान एग्रीकल्चरल एंड वेटरिनरी यूनिवर्सिटी बीकानेर ने पक्षियों में बॉट्यूलिज्म रोग की संभावना व्यक्त की है। इंडियन वेटेरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली को भी बीमारी की पुष्टि के लिए नमूने भेजे गए हैं।

बैठक में जलदाय मंत्री श्री बीडी कल्ला, पशुपालन मंत्री श्री लालचंद कटारिया, उद्योग मंत्री श्री परसादीलाल मीणा, उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुबोध अग्रवाल, वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती श्रेया गुहा, अति. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्री अरिन्दम तोमर एवं पशुपालन निदेशक सहित विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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