Vigilance launches probe to check crude piles of crores rupees

जयपुर। तीन लाख करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहे देश के सबसे बड़े औद्योगिक गलियारे दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर (डीएमआईसीसी) में करोड़ों रुपए के घटिया मास्ट (खंबे) की आपूर्ति करने और अफसरों से मिलीभगत करके इन्हें खपाने के आपराधिक षड्यंत्र की पोल अब खुलने वाली है। डीएमआईसीसी की विजीलैंस शाखा नई दिल्ली ने इस पूरे घपले और गड़बड़झाले की जांच शुरू कर दी है। डीएमआईसीसी, डेडीकेटेड प्रेट कॉरीडोर और ठेका एजेंसी एलएनटी कंपनी की कथित मिलीभगत से जयपुर के नजदीक रींगस और आस-पास के क्षेत्र में घटिया व फेल मास्ट को लगाने की पोल जनप्रहरी एक्सप्रेस समाचार पत्र और जनप्रहरी एक्सप्रेस डॉट-कॉम (न्यूज वेबसाइट) ने मय दस्तावेज के साथ खोली थी। हमारे समचार पत्र और न्यूज वेबसाइट में समाचार प्रकाशित होने के बाद डीएमआईसीसी, डीएफसीसीआईएल और भारतीय रेलवे बोर्ड में खलबली मच गई। दिल्ली में दिल्ली मुंबई कॉरिडोर प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों ने इस मामले की पूरी रिपोर्ट जयपुर विंग से तलब की। रिपोर्ट में घटिया खंबों की आपूर्ति और टेस्टिंग में फेल होने की रिपोर्ट सही पाए जाने पर डीएमआईसीसी ने फेल मास्ट का ठेका निरस्त कर दिया था। इस संबंध में जयपुर विंग को निर्देश भी दे दिए। हालांकि इन निदेर्शों के बावजूद डीएमआईसीसी और डीएफसीसीआईएल के अफसर ठेका कंपनी से मिलीभगत करके फेल मास्ट को खपाने में लगे रहे। इन्हें खपाने के लिए अफसरों ने भारतीय मानक ब्यूरो के नियम तक बदल डाले। अफसरों की इस बदनियति और आपराधिक षड्यंत्र को देखते हुए पीएमओ, केन्द्रीय रेल मंत्री, भारतीय रेलवे बोर्ड चेयरमैन, डीएमआईसीसी और डीएफसीसीआईएल के आला अफसरों और विजीलैंस विंग को लिखित शिकायत दी गई। इस भ्रष्टाचार से संबंधित समस्त दस्तावेज, समाचार पत्र व न्यूज वेबसाइट की प्रतियां दी गई।

डीएमआईसीसी और डीएफसीसीआईएल जयपुर विंग के आला अफसरों के नाम दशार्ते हुए शिकायत में बताया कि किस तरह से वे ठेका कंपनी के प्रभाव में आकर टेस्टिंग में फेल मास्ट को खपाने में लगे हैं और नियम तक बदल डाले। यहीं नहीं इस कॉरिडोर के हर बड़े ठेके में ये अफसर कंपनी से मिलीभगत करके केन्द्र सरकार और भारतीय रेलवे बोर्ड को अरबों रुपए का चूना लगा रहे हैं, साथ ही कॉरिडोर में तय मापदण्डों और नियमों के हिसाब से कार्य नहीं हो रहे हैं। घटिया उपकरणों व सामान की आपूर्ति, इन्हें रेल ट्रेक में लगाने से भविष्य में बड़ी दुर्घटना-हादसे के अंदेशे हैं। जनप्रहरी एक्सप्रेस की ओर से पेश दस्तावेज और जानकारी के आधार पर डीएमआईसीसी नई दिल्ली की विजीलैंस शाखा को इस पूरे मामले की जांच सौंपी है। विजीलैंस शाखा ने मामले में अनुसंधान शुरू कर दिया है। विजीलैंस शाखा ने पत्र व्यवहार करके समस्त दस्तावेज मांगे, जिन्हें समय-समय पर उपलब्ध करा दिया गया है। चाहे वह टेस्टिंग में फेल मास्ट रिपोर्ट हो या ठेका कंपनी को फायदा देने के लिए अफसरों द्वारा बदले गए नियमों के दस्तावेज। सभी विजीलैंस शाखा को भेजे गए हैं। यह भी दस्तावेजी सबूत दिए गए हैं कि ठेका कंपनी बारह मीटर खंबे भेजने का दावा कर रही है, लेकिन जानकारों का दावा है कि देश में फिलहाल बारह मीटर खंभे के निर्माण और इस पर जस्ता लगाने के लिए इतना बड़ा पोर्ट (टैंक) नहीं है। करीब २६८८ खंबे की आपूर्ति करने वाले आपूर्तिकर्ता जैन स्टील्स, पंजाब के पास भी बारह मीटर खंबे का पोर्ट (टैंक) नहीं है। ऐसे में इन खंबों पर जस्ता चढ़ाना की प्रक्रिया संदिग्ध है। टेस्टिंग रिपोर्ट में जैन स्टील्स पंजाब के भेजे गए खंबे फेल भी हो चुके हैं। ये सभी सूचना मय दस्तावेज विजीलैंस शाखा को भिजवाए गए हैं। इसी तरह इस पूरे मामले की एक शिकायत जल्द ही सीबीआई जयपुर विंग के पुलिस अधीक्षक को दी जाएगी। ताकि देश के लिए महत्वपूर्ण इस प्रोजेक्ट में हो रहे भ्रष्टाचार और दूसरे फजीर्वाड़े पर अकुंश लग सके और दोषी अफसरों पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके।

50 में से 41 खंबे फेल, फिर भी लगाने पर आमादा
एलएंडटी लिमिटेड ने जयपुर के नजदीक रेलवे ट्रेक पर लगने वाले मास्ट (खंबे) बनाने का ठेका पंजाब की जैन स्टील्स इंडस्ट्रीज को दिया। इस कंपनी ने २६८८खंबे कुछ दिनों में ही तैयार करके रींगस के पास पहुंचा दिए। इन खंबों की टेस्टिंग की गई तो जांच में 50 मेंं से 41 खंबे फेल हो गए। मात्र नौ खंबे ही पास हो पाए। इस रिपोर्ट से अफसरों और ठेका कंपनी व आपूर्तिकर्ता कंपनी के होश उड़ गए। कई दिनों तक अफसरों ने इस रिपोर्ट को दबाए रखा, ताकि फेल मास्ट को खपाया जा सके। जनप्रहरी एक्सप्रेस न्यूज पेपर और वेबसाइट में इसका खुलासा होते ही ये घटिया व फेल मास्ट लगने से रह गए। मामला उजागार होने पर ठेका भी निरस्त कर दिया, हालांकि नियमों के तहत फेल मास्ट को कहीं एक जगह रखकर सील नहीं किया, जिससे इन घटिया व फेल मास्ट को फिर से खपाने की कवायद अंदरखाने चलने लगी। जो अभी तक जारी है। इन्हें खपाने के लिए अफसरों ने कंपनी से मिलीभगत करके साइट स्थल पर जांच करवाने का प्रावधान ही हटवा दिया, जो भारतीय मानक ब्यूरो का महत्वपूर्ण नियम है। कानूनन तभी कोई नियम या प्रावधान हटा सकता है, जब केन्द्रीय केबिनेट या संसद से पारित करवाया जाए। गजट नोटिफिकेशन हो, तभी वह नियम या प्रावधान बदला जा सकता है। लेकिन कमीशन के फेर में डीएमआईसीसी और डीएफसीसीआईेल के अफसर अपने स्तर पर ही नियम को हटाने का फैसला ले लिया। यह जघन्य अपराध है, इसे जानते हुए भी अफसरों ने इस प्रावधान को हटा दिया और वहां पड़े घटिया खंबों को खपाने में लगे हुए हैं। एलएण्डटी ने पंजाब स्टील्स इण्डस्ट्रीज के स्थान पर अब दूसरी कंपनी कारटैक्स को खंबे बनाने का ठेका दिया गया है।

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