नई दिल्ली। किसानों के कर्ज माफी के वायदे को लेकर भाजपा यूपी चुनावों में प्रचंड बहुमत से जीत तो गई, लेकिन अब इस वायदे से मुकरने की स्थिति में आ गई है। जिस लिहाज से केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली किसानों के कर्ज माफी के मामले में इंकार कर रहे हैं। उससे तो स्थिति कुछ ऐसी देखने को मिल रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में केंद्र सरकार की ओर से किसानों का कर्ज माफ करने की संभावना से इंकार कर दिया। इसके पीछे उन्होंंने तर्क दिया कि अगर राज्य किसानों के कर्ज माफ करते हैं तो उन्हें इसका खर्चा उन्हें स्वयं वहन करना होगा। यूपी के किसानों का कर्ज माफ होगा तो दूसरे राज्यों के साथ भी ऐसा ही करना होगा। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों से भी यह मुद्दा उठ रहा है। कृषि के लिए केंद्र की अपनी नीतियां है। जिसके तहत ब्याज में सब्सिडी और दूसरी तरह की मदद देते हैं। किसी राज्य सरकार के पास अगर पैसे हैं और वह कर्ज माफ करना चाहती है तो ऐसा कर सकती है। वहीं इसके विपरित केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि कर्ज माफी के पैसे केन्द्र की ओर से दिए जाएंगे। बता दें भाजपा ने चुनावी घोषणा पत्र में कर्ज माफी का वायदा किया। वहीं यूपी चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि चुनावों में सफलता के बाद यूपी में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। योगी कैबिनेट की पहली बैठक में किसानों का कर्ज माफ कर देने पर फैसला ले लिया जाएगा। इधर विपक्ष ने भी केन्द्रीय कृषि मंत्री के बयान का विरोध करते हुए दबाव बनाया कि केन्द्र एक राज्य के किसानों का ऋण माफ कर सकती है तो देशभर के किसानों के साथ न्याय करना होगा। इन सबके बीच रिजर्व बैंक ने इस मामले पर विरोध जताया। आरबीआई के डिप्टी गर्वनर एस.एस. मूंदड़ा ने कहा है कि कर्ज माफी से कर्ज लेने और देने वाले के बीच अनुशासन बिगड़ता है। जबकि एसबीआई चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी किसान कर्ज माफ पर आपत्ति जताई थी।

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