-ललित गर्ग-

भारत के लिये यह गर्व एवं गौरव की बात है कि वह 1 दिसंबर से जी-20 की अध्यक्षता करेगा। भारत के लिए ये ऐतिहासिक अवसर है। आजादी के अमृतकाल में यह देश के लिए अभूतपूर्व उपलब्धि है, जहां से भारत के सशक्त होने एवं विश्व स्वीकार्यता की सार्थक दिशाओं का उद्घाटन होने जा रहा है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्व नेता के रूप में उभर रही स्थितियों के कारण एक बड़ा अवसर देश को प्राप्त हो रहा है। जी-20  ऐसे देशों का समूह है जिनका आर्थिक सामर्थ्य विश्व की 75 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व करता है। भारत अब इस जी-20 समूह का नेतृत्व करने जा रहा है, इसकी अध्यक्षता करने जा रहा है। निश्चित ही यह भारत के लिये एक नये सूरज के अभ्युदय का संकेत है। मोदी ने भारत की अध्यक्षता के शुभंकर और वेबसाइट का अनावरण करते हुए दुनिया को शांति के मार्ग पर अग्रसर करने के अपने संकल्प को दोहराया है। समूची दुनिया को सुखी होने का मार्ग दिखाते हुए भारत स्वयं भी उस मार्ग पर अग्रसर होगा, इसके लिये मोदी का नेतृत्व निश्चित ही नवीन दिशाओं को उद्घाटित करेगा।
संसार के सभी प्राणी सुखी हों, यह कामना वह व्यक्ति, वह नेता एवं वह राष्ट्र कर सकता है, जो सारी वसुधा को अपना परिवार समझता है, जो उदार होता है, जो शांतिप्रिय एवं अहिंसक होता है, जो अपने पराये की संकीर्ण सीमा को लांघकर प्राणीमात्र के सुख में सुखी और दुःख में दुःखी होता है। यही उदात्त विचारधारा भारतीय संस्कृति और जीवन-पद्धति की विशेषता रही है, इसी विचारधारा से वसुधैव कुटुबंकम एवं सर्वे भवन्तु सुखीन के उद्घोष हुए है। इन्हीं उद्घोषों को बल देते हुए भारत विश्व में आर्थिक रूप से शक्तिशाली 20  देशों के समूह जी-20 की अध्यक्षता काल में गौतम बुद्ध, महावीर और महात्मा गांधी के युद्ध से मुक्ति एवं हिंसा के प्रतिरोध सिद्धांत के साथ विश्व को शांति, समाधान एवं समृद्धि की राह दिखाएगा। मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विदेश  मंत्रालय के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जी-20 के नये प्रतीक चिन्ह एवं नारे का लोकार्पण किया और कहा कि ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का नारा भारत के संस्कारों एवं संस्कृति से विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। नये प्रतीक चिन्ह के कमल के पुष्प पर विराजित पृथ्वी एवं कमल की सात पंखुड़ियों के माध्यम से सातों महाद्वीपों की एकजुटता और सौहार्द से समृद्धि एवं प्रगति का संदेश मिलता है।
नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में भारत की छवि लगातार बदलती जा रही है, भारत को दुनिया की महाशक्तियां भी स्थान देने लगी, उससे मार्गदर्शन लेकर अपनी नीतियों को बल देने लगी है। दुनिया को तो भारत की शक्ति का एहसास हो ही चुका है, साथ ही देशवासियों को भी भारतीय होने का गौरव महसूस होने लगा है। जी-20 यानि 20 देशों का समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच है, इस मंच की अध्यक्षता भारत को करने का अवसर मिलता निश्चित ही एक नये, शुभ एवं श्रेयस्कर भारत का संकेत है। आज पूरी दुनिया भारत के महत्व को समझती है। दुनिया जानती है कि भारत जो कहता है वह करता है। भारत के प्रति दुनिया में बढ़ रहा विश्वास उसके प्रभावी नेतृत्व, नीतियों, नीतिपरकता, स्पष्टता और पारदर्शिता का परिणाम है।
मोदी के नेतृत्व में भारत ने नया इतिहास गढ़ा है, स्वयं को सशक्त एवं ताकतवर बनाया है। दृढ़ता एवं साफ-सुथरी शासन-व्यवस्था से दुनिया को प्रभावित किया है। आर्थिक विकास को गति दी है। यही कारण है कि अब भारत में दुनिया के कई देश बेझिझक कारोबार के अवसर तलाश रहे हैं। भारत के सामने कई चुनौतियां भी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनियाभर में ऊर्जा और खाद्य संकट खड़ा हो चुका है। दुनिया के तमाम देशों पर मंदी का साया मंडरा रहा है। अमेरिका, ब्रिटेेन और चीन जैसी महाशक्तियां भी हांफ रहे हैं। दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का भी यही हाल है। कारोबार और व्यापार की चुनौतियों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन एवं प्रदूषण का संकट भी काफी बड़ा होता जा रहा है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर है और पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर लगी हुई हैं। इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को ही जाता है।
भारत जी-20 नेतृत्व में निश्चित ही दुनिया को नयी दिशा एवं दृष्टि देगा। जी-20 के इस अंतर सरकारी मंच में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। भारत देशभर में विभिन्न स्थानों पर 32 विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित लगभग 200 बैठकें आयोजित करेगा। अगले साल होने वाला जी-20 शिखर सम्मेलन, भारत द्वारा आयोजित किया जाने वाले शीर्ष स्तर के अंतररष्ट्रीय सम्मेलनों में से एक अनूठा एवं विलक्षण होगा। इस सम्मेलन से दुनिया की नजरें भारत पर टिकेगी। दुनिया अब उम्मीद कर रही है कि अगर कोई देश उसे आर्थिक संकटों में जाने से बचा सकता है तो वह सिर्फ भारत ही है। भारत दुनिया की ग्रोथ का इंजन बनने की ताकत रखने लगा है। रूस-यूक्रेन युद्ध मसले पर भारत किसी भी खेमे में शामिल नहीं हुआ, बल्कि उसने अमेरिका के दबाव में आए बिना रूस से सस्ता तेल खरीदा क्योंकि भारत को अपनी जनता के हित पहले देखने हैं। अमेरिका और उसके मित्र देश रूस पर प्रतिबंधों का खामियाजा भुगत रहे हैं। यह भारत का आत्मविश्वास एवं दृढ़ता ही है जहां से दुनिया को अपनी सोच बदलने एवं विश्व को एक परिवार के रूप में आगे बढ़ाने की सोच को बल मिल रहा है।
भारत अपनी मौलिक सोच एवं फौलादी इरादों से अपने आजादी के अमृत महोत्सव काल को अपने अस्तित्व एवं अस्मिता में आमूल-चूल परिवर्तन का जरिया बना रहा है। भारत दुनिया की एक सशक्त आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। 2029 तक वह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। 2027 तक उसके जर्मनी और 2029 तक जापान से आगे निकल जाने का अनुमान है। हाल ही में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए उसने दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जगह बना ली है। अब वह सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से पीछे है। 20-जी शिखर सम्मेलन की स्वागत भूमि बनकर भारत अपने सशक्त एवं विकसित होने के गौरव को नये आयाम देगा। अपनी उपस्थिति एवं नेतृत्व से दुनिया का ध्यान खींचेगा।
भारत कोरा आर्थिक विकास ही नहीं कर रहा है, बल्कि सांस्कृतिक एवं लोकतांत्रिक विकास भी कर रहा है। वह खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, हरित ऊर्जा, वाणिज्य कौशल की पहचान और आर्थिक अपराधों पर नियंत्रण के लिये नयी भूमि को तैयार कर रहा है। भारत स्वच्छ ऊर्जा की ओर बहुत ध्यान दे रहा है। भारत उन देशों में है जो बहुत तेज गति से इलैक्ट्रिक वाहनों को अपना रहा है और इस दिशा में निवेश कर रहा है। डिजिटल बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य एवं कृषि से जुड़े विषयों में भारत ने अनूठी उपलब्धियां हासिल की है।  सऊदी अरब और भारत के बीच संबंध मधुर हैं। दोनों देश तेल-गैस के व्यापार के अलावा रणनीतिक भागेदारी और प्रवासी कामगारों को लेकर भी करीब से जुड़े हैं। ऐसे में सऊदी अरब का ब्रिक्स में शामिल होना भारत के हित में होगा। आजादी के इस अमृतकाल में देश के सामने जी-20 के नेतृत्व के रूप में एक बड़ा अवसर आया है। ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है, गौरव बढ़ाने वाली बात है। यह देश के सामर्थ्य का प्रतीक है। भारत इसे नई जिम्मेदारी के रूप में देख रहा है। देशवासियों को इस जिम्मेदारी पर खरा उतरना होगा। हमने गुलामी और अत्याचारों के दिन भी देखें हैं।  अब भारत को विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर होते हुए दुनिया में शांति, सुख एवं समतामूलक विकास का माध्यम बनना है। शुभ के स्वप्न को आकार देने के लिये हमें भगवान महावीर के इस संदेश को जीवन से जोड़ना होगा-‘खणं जाणाहि पंडिए’- हम क्षणजीवी बने। न अतीत की चिन्ता, न भविष्य की कल्पना। सिर्फ ‘आज’ को जीते हुए देश एवं दुनिया को शांति एवं सुख का परिवेश दें। मोदी जैसा भीतर से जागा हुआ चमत्कारी एवं करिश्माई नेतृत्व हर घटना, सन्दर्भ, निर्णय, सोच, शैली से देश एवं दुनिया के लिये एक नई सीख, नई ऊर्जा और नई प्रेरणा बन सकता है, इसलिये आइए, इस विश्वास और संकल्प को सचेतन करें कि आज तक जो नहीं हुआ वह अब हो सकता है, यदि उसके पीछे तीव्र प्रयत्न, ईमानदारी एवं गहरी लगन हो।

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