जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गुजरात में आयोजित निवेशक शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। स्वैच्छिक वाहन-बेड़ा आधुनिकीकरण कार्यक्रम या वाहन स्क्रैप नीति के तहत वाहन स्क्रैप के बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए निवेश आमंत्रित करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया है। सम्मलेन में एकीकृत स्क्रैप हब के विकास के लिए अलंग स्थित जहाज तोड़ने वाले उद्योग द्वारा प्रस्तुत सुझाव व ताल-मेल पर भी विचार-विमर्श किया जायेगा। इस अवसर पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री तथा गुजरात के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।

आज वाहन स्क्रैप नीति का शुभारंभ हुआ है, जिसे भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर कहा जा सकता है। वाहन स्क्रैप अवसंरचना स्थापित करने के लिए गुजरात में आयोजित निवेशक शिखर सम्मेलन संभावनाओं की एक नई श्रृंखला की शुरुआत करता है। वाहन स्क्रैप नीति अनुपयुक्त और प्रदूषण पैदा करने वाले वाहनों को चरणबद्ध व पर्यावरण-अनुकूल तरीके से हटाने में मदद करेगी। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम से पहले ट्वीट्स की एक श्रृंखला में कहा, “हमारा उद्देश्य एक व्यावहारिक चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाना है और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार रहते हुए सभी हितधारकों के लिए मूल्य-संवर्धन करना है।”

राष्ट्रीय वाहन स्क्रैप नीति का शुभारंभ करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नीति से नये भारत में वाहन सेक्टर और आवागमन-सुविधा को नई पहचान मिलेगी। यह नीति देश में वाहनों की तादाद के आधुनिकीकरण में बड़ी भूमिका निभायेगी। इसके कारण अनुपयुक्त वाहनों को वैज्ञानिक तरीके से सड़कों से हटाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि आवागमन-सुविधा में आधुनिकता लाने से न केवल यात्रा और यातायात का बोझ कम होता है, बल्कि वह आर्थिक विकास में सहायक भी सिद्ध होती है। इक्कीसवीं सदी के भारत का लक्ष्य है स्वच्छ, दबाव-मुक्त तथा सुविधाजनक आवागमन, और यही समय की मांग भी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई स्क्रैप नीति चक्रीय अर्थव्यवस्था और अपशिष्ट से धन-निर्माण में परिवर्तित करने वाले अभियान के साथ जुड़ी है। इस नीति से देश के शहरों से प्रदूषण को कम करने, पर्यावरण को सुरक्षित बनाने और तेज विकास की हमारी प्रतिबद्धता भी जाहिर होती है। यह नीति ‘री-यूज, री-साइकिल, रिकवर’ के सिद्धांत का पालन करती है और यह वाहन सेक्टर व धातु सेक्टर में देश को आत्मनिर्भर बनाने को भी प्रोत्साहन देगी। यह नीति 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नया निवेश लाएगी और हजारों नौकरियां पैदा होंगी।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और अगले 25 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि अगले 25 वर्षों में कारोबार करने के तरीकों और दैनिक जीवन में बहुत सारे बदलाव आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन बदलावों के बीच, यह भी बहुत जरूरी है कि हम अपने पर्यावरण, अपनी धरती, अपने संसाधनों और अपने कच्चे माल की सुरक्षा करें। उन्होंने कहा कि भविष्य में हम भले नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शानदार काम कर लें, लेकिन धरती माता से मिलने वाली सम्पदा का निर्धारण हमारे हाथों में नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एक तरफ भारत ‘डीप-ओशीन मिशन’के जरिये नई संभावनाओं की पड़ताल कर रहा हैं, वहीं दूसरी तरफ चक्रीय अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रयास किया जाना चाहिए कि विकास लंबे समय तक कायम रहे और वह पर्यावरण अनुकूल बना रहे।

प्रधानमंत्री ने ऊर्जा सेक्टर में किए गए अभूतपूर्व कार्यों को रेखांकित किया। भारत सौर और वायु ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल हो गया है। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि अपशिष्ट को धन-निर्माण में बदलने के अभियान को स्वच्छता और आत्मनिर्भरता से जोड़ा जा रहा है।

 

 

 

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