Ram teri ganga mali
Ram,ganga

देहरादून। हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद यदि आप यह विचार कर रहे हैं कि अब आपके सारे पाप धुल गए, तो आप गलत सोच रहे हैं। इसके पीछे की वजह आप जानेंगे तो खुद चकित रह जाएंगे। आपने गंगा नदी में जिस स्वच्छ पानी में स्नान किया है। वह स्वच्छ न होकर इस कदर गंदा है कि इसे पीना तो दूर की बात स्नान करने का विचार भी नहीं कर सकते। जी हां एक आरटीआई के जवाब में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (cpbc) ने जो सूचना भेजी, उससे तो यही स्थिति उभरी है। cpbc ने आरटीआई के जवाब में बताया कि हरिद्वार में गंगा नदी का पानी प्रत्येक पैमाने पर असुरक्षित है। बोर्ड के वैज्ञानिक आरएम भारद्वाज ने बताया कि उत्तराखंड में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक करीब 294 km. के दायरे में 11 अलग-अलग स्थानों से पानी की गुणवत्ता को जांचा गया। इन 11 जगहों से पानी के सैंपल लिए गए। इन सैंपलों की जांच के लिए 4 प्रमुख सूचक निर्धारित किए गए। जिनमें तापमान, पानी में घुली ऑक्सिजन (do), बॉयलॉजिकल ऑक्सिजन डिमांड (bod) और कॉलिफॉर्म (बैक्टीरिया) शामिल है। जांच के दौरान हरिद्वार के पास मौजूद इलाकों में गंगा के पानी में bod, कॉलिफॉर्म और अन्य दूसरे जहरीले तत्व पाए गए हैं। बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार सामान्यत: नहाने के लिए एक लीटर पानी में bod का स्तर 3 mg से कम होना चाहिए, जबकि यहां पानी के स्तर पर में यह आंकड़ा 6.4 mg से अधिक मिला। रोचक बात तो यह है कि हर की पौड़ी जहां हजारों की संख्या में लोगों का जमावड़ा रहता है, लोग आस्था के नाम पर नदी के इर्द-गिर्द डटे रहते हैं। वहां कई जगहों पर पानी में कॉलिफॉर्म खतरनाक स्तर पर मिला। 100 ml पानी में कॉलिफॉर्म की मात्रा 90 mnp होनी चाहिए, जबकि यह आंकड़ा 1600 mnp तक मिला। बोर्ड के अनुसार नहाने के पानी में यह मात्रा प्रति 100 ml में 500 mnp या इससे कम होनी चाहिए। हरिद्वार के पानी में do का स्तर 4 से 10.6 mg तक मिला, जबकि यह स्तर 5 mg तक होना चाहिए। इस मामले में प्रसिद्ध पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने कहा कि हरी भरी वादियों के बीच प्रकृति को अपने में समेटे हरिद्वार अब आध्यात्मिक नगरी की छवि से बाहर निकल गया है। अब यह पर्यटक व औद्योगिक हब बन गया है। यही वजह है कि यहां सीवरेज के प्रबंधन को लेकर कोई बेहतर कार्य योजना नहीं बन पाई। जब तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट इन्स्टॉल नहीं किए जाते, पानी की गुणवत्ता पर गंभीरता से निगरानी नहीं रखी जाती, तब तक घाटों का पानी प्रदूषित रहेगा। यहां के 20 घाटों पर प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालु डूबकी लगाते हैं। जो गंदगी के बढ़ावा देने के साथ गंगा को मैली ही कर रहे हैं।

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1 COMMENT

  1. गंगा मैया
    की जय
    गंगा को मैली नही होने देंगे

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