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क्षत्रिय युवक संघ के जयपुर में भवानी निकेतन कॉलेज परिसर में आयोजित हीरक जयंती समारोह अनुशासन और संस्कार की बड़ी सीख देकर गया है। समारोह में राजस्थान के कोने-कोने से क्षत्रिय समाज के पुरुष-महिलाएं तो आए, साथ ही मध्यप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तरप्रदेश, हरियाणा समेत अन्य राज्यों से लाखों समाजबंधु शरीक हुए। बताया जा रहा है कि समारोह में पांच लाख क्षत्रिय बंधु आए, लेकिन क्या मजाल शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ी हो। कहीं कोई हुड़दंग की सूचना नहीं है। ना ही किसी को परेशानी।

देश-प्रदेश से आए लाखों लोग सीधे कार्यक्रम स्थल पहुंचे। कार्यक्रम में भागीदारी की और कार्यक्रम समापन के साथ ही अपने वाहनों व साधनों से घर प्रस्थान कर गए। जिस अनुशासन के साथ आए, उसी अनुशासन के साथ अपने घरों को लौटें। ना आते वक्त और ना ही जाते वक्त यातायात बाधित रहा और ना ही कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी। कार्यक्रम स्थल पर पुलिस की कोई व्यवस्था नहीं थी। सारी व्यवस्था संघ के प्रशिक्षित कार्यकर्ता कर रहे थे। समारोह में आने वाले लोग पंक्तिबद्ध एक के बाद एक बैठे रहे थे। यहीं ही नहीं मंच से भी राजनीति की बजाय चरित्र निर्माण, संस्कार की बातें की गई। संघ के पदाधिकारियों ने उपस्थित समूह को चरित्र निर्माण, समाज व राष्ट्र-निर्माण, निर्बल सेवा की सीख दी। यहीं नहीं मंच से समाजबंधुओं को आह्वान किया कि दूसरे समाज के लोगों से भी प्रेम रखे।

किसी को घोड़ी से उतारने और दुव्र्यवहार ना करें। वे भी उसी ईश्वर की संतान है, जिसके आप है। ऐसी घटनाओं से समाज बदनाम होता है। सदियों से क्षत्रिय समाज देश, धर्म व समाज का रक्षक रहा है। इस तरह का संकल्प लेकर यहां से जाएं। इससे साफ है कि संघ के कार्यक्रमों में समाज में वर्गभेद, ऊंच-नीच को खत्म करने का कार्य भी बखूबी किया जा रहा है। हर समाज व धर्म को क्षत्रिय युवक संघ से संस्कार, चरित्र निर्माण व अनुशासन की सीख लेनी चाहिए। इतनी बड़े जनसमूह के बावजूद किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई। नहीं तो जयपुर में कुछ हजार लोगों की रैली व सम्मेलन में कानू व्यवस्था बिगड़ जाती है। हुड़दंग, ट्रैफ्रिक जाम और आरोप-प्रत्यारोपों की राजनीति से जनता ही नहीं शासन भी परेशान हो जाता है। मानसरोवर और जयपुर में दो जातिगत रैलियों में हुए हुडदंग और अव्यवस्था से जयपुरवासी व प्रशासन भुगतभोगी है। राजनीतिक दलों, सामाजिक, जातिगत, कर्मचारी संगठनों को भी क्षत्रिय युवक संघ से अनुशासन व संस्कार की सीख लेनी चाहिए। उनकी तर्ज पर ही संस्कार शिविर लगाकर अनुशासन का भाव पैदा करें।

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