चित्तौडग़ढ़। फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म रानी पद्मावती के इतिहास को लेकर उठे विवाद के बीच राजपूत करणी सेना ने फिल्म से चर्चा में आए उस शीशे को चकनाचूर कर दिया है, जिसके बारे में कहा जा रहा था कि यह वही शीशा है, जिसके माध्यम से दिल्ली शासक अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौडग़ढ़ के राजा रतन सिंह की पत्नी पद्मावती के दीदार किए थे। राजपूत करणी सेना व दूसरे संगठनों ने इसे मनगढत और गलत इतिहास बताते हुए पुरातत्व विभाग, पर्यटन विभाग, एएसआई और राज्य सरकार से इस शीशे को हटाने की मांग की थी। पन्द्रह दिन का अल्टीमेटम भी दिया था। जब सरकार ने नहीं सुनी तो करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने चित्तौडग़ढ़ किले में लगे उन शीशों को तोड़ दिया। ये शीशे पद्मावती महल में लगे हुए थे। उधर, इस घटना के बाद से पुरातत्व विभाग और स्थानीय पुलिस विभाग इसे अंजाम देने वालों का पता लगाने में लगी हुई है। चित्तौडग़ढ़ किला प्रशासन ने अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई है। शीशे तोडऩे जाने के बारे में पर्यटकों ने महल प्रशासन और पुलिस को सूचना दी थी। चेतावनी के बाद भी पुलिस व पुरातत्व विभाग ने सुरक्षा इंतजाम पुख्ता नहीं कर रखे थे। जिसके चलते यह घटना हुई। उधर, करणी सेना ने पद्मिनी महल में लगे कांचों को हटाने और वहां लिखी सूचना को हटाने के लिए चेताया था। गौरतलब है कि रानी पद्मावती पर फिल्म बना रहे संजय लीला भंसाली पर भी जयपुर के नाहरगढ़ किले में शूटिंग के दौरान करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की थी और फिल्म से जुड़े सामान में तोडफोड की थी। हालांकि बाद में दोनों पक्षों में इस बात को लेकर सुलह हो गई थी कि वे ऐसा कोई विवादित विषय फिल्म में दर्शाएंगे, जिससे समाज में गलत मैसेज जाए और इतिहास के साथ खिलवाड हो।
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