Wax puppets
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जयपुर. नाहरगढ़ किला परिसर में राजस्थान के पहले मोम के पुतलों के संग्रहालय में एक सौर उर्जा का संयत्र स्थापित किया गया है, जिससे प्रतिदिन 30 किलोवाट का बिजली का उत्पादन किया जायेगा। सौर उर्जा के उत्पादन से प्रतिवर्ष 127.9 टन कार्बन डाइआक्साइड के उत्सर्जन की बचत होगी। संग्रहालय का प्रतिदिन की बिजली की खपत 40—45 किलोवाट है और इस संयत्र से उत्पादित सौर उर्जा संग्रहालय के बिजली खपत की 60 प्रतिशत बिजली आपूर्ति को पूरी करेगी। सौर उर्जा संयत्र की स्थापना से संग्रहालय में लगी खेल, कला से जुडेÞ महान विभूतियों और कार्टूनों की मोम के पुतलों के लिये होने वाली बिजली के खपत की 60 प्रतिशत आपूर्ति को पूरा करेगा।

जयपुर मोम के पुतलों के संग्रहालय के संस्थापक अनूप श्रीवास्तव ने पीटीआई—भाषा को बताया कि सौर उर्जा संयत्र के चालू होने से ना केवल बिजली के बिल में कमी आई है बल्कि इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि 125 सौलर पैनल का 30 किलोवाट का सौर उर्जा संयत्र तीन हजार स्कावयर फुट क्षेत्र के संग्रहालय भवन के टेरिस पर स्थापित किया गया है। इससे प्रतिवर्ष 127.9 टन कार्बन डाइआक्साइड के उत्सर्जन की बचत होगी। श्रीवास्तव ने बताया कि सौर उर्जा की एक किलोवाट प्रतिघंटे खपत से 1060 ग्राम कार्बन डाइ आक्साइड की बचत की जा सकती है। उन्होंने बताया कि सौलर उर्जा संयत्र का जीवन आमतौर पर 25 साल का होता है। इसका मतलब सौर उर्जा संयत्र से आगामी 25 वर्षो में लगभग 3 हजार 197 टन कार्बन डाइ आक्साइड के उत्सर्जन को बचाया जा सकेगा। इस संयत्र की स्थापना से संग्रहालय की लगभग 60 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति के साथ बिजली बिल में 12 लाख रूपये प्रतिवर्ष बचाये जा सकेंगे। इस संयत्र की लागत लगभग 24 लाख रूपये है जिसकी भरपाई आगामी 28 से 30 महीनों में कर ली जायेगी।

संग्रहालय में मोम और सिलिकोन से बने महान वि​भूतियों महात्मा गांधी, महाराणा प्रताप, सुभाष चंद्र बोस, भगत ंिसह, मदर टरेसा, अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, जयपुर के पूर्व राजघराने के सदस्यों के पुतले रखे हुए है। संस्थापक ने बताया कि संग्रहालय में महान राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान, स्वामी विवेकानंद ​और ​क्रिकेट खिलाडी महेन्द्र ंिसह धोनी के पुतलों को आगामी महीनों में शामिल किया जायेगा।

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