नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करना आखिरकार कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन को महंगा पड़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मंगलवार को आदेश जारी कर जस्टिस सीएस कर्णन को 6 माह की सजा सुनाई। साथ ही कहा कि आदेशों की तत्काल पालना की जाए। इसी तरह कोर्ट ने जस्टिण कर्णन के बयानों को मीडिया में पब्लिश किए जाने पर भी रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश जारी होने के साथ जस्टिस कर्णन इंडियन ज्यूडिशियरी सिस्टम के ऐसे पहले जज हो गए, जिन्हें पद पर रहते सजा सुनाई गई। वहीं सोमवार को जस्टिस कर्णन ने शीर्ष कोर्ट अपना टकराव बढ़ाते हुए अपने घर पर बनाए गए कोर्ट से सीजेआई जस्टिस जेएस खेहर सहित जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे. चेल्मेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन. बी. लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्रा घोष और जस्टिस कुरियन जोसेफ के खिलाफ आर्डर जारी कर 5-5 साल की सजा सुनाई। कर्णन ने सीजेआई और जजों को एससी/एसटी एक्ट के तहत दोषी माना और उन पर एक-एक लाख रुपए का जुर्मान भी लगाया। जुर्माना अदा नहीं करने की स्थिति में 6 माह की सजा और काटनी होगी। इसी तरह जस्टिस आर. भानुमती को अलग से सजा सुनाई। कर्णन ने अपने आदेशों में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 8 जजों ने जातिगत भेदभाव किया। ऐसे में उन्हें एससी/एसटी एक्ट के तहत दोषी मान सजा सुनाई जाती है। जुर्माना राशि सप्ताहभर में नेशनल कमीशन ऑफ एससी/एसटी को देने के आदेश जारी किए। बता दें जस्टिस कर्णन ने पीएम नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और मद्रास हाईकोर्ट के मौजूदा जज सहित 20 जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई होने तक जस्टिस कर्णन से प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार वापस ले चुका है तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी शुरू की जा चुकी है। शीर्ष अदालत के आदेशों की पालना नहीं करने की स्थिति में कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया। साथ ही उनके मेंटल हेल्थ चेकअप के आदेश दिए। जहां जस्टिस कर्णन ने डॉक्टरों की टीम को वापस लौटा दिया था।

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