Supreme Court

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड प्रकरण की सुनवाई कर रहे विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु को ‘गंभीर मामला’ बताते हुये महाराष्ट्र सरकार को उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि इस मामले में 15 जनवरी तक वह जवाब दाखिल करे। पीठ ने कहा कि इस मामले की एक तरफा सुनवाई की बजाये द्विपक्षीय सुनवाई की जरूरत है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम एम शांतानाौडर की पीठ ने कहा, ‘‘यह गंभीर मामला है। हम चाहेंगे कि महाराष्ट्र सरकार के वकील निर्देश प्राप्त करें ओर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा अन्य रिकार्ड 15 जनवरी तक पेश करें।’’ इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही बंबई लायर्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि यह मामला बंबई उच्च न्यायालय में लंबित है और शीर्ष अदालत को इस मामले की सुनवाई करने से बचना चाहिए।

इस पर पीठ ने दवे से यह स्पष्ट करने के लिये कहा कि शीर्ष अदालत को इसे क्यों नहीं सुनना चाहिए। इस पर दवे ने कहा, ‘‘बंबई उच्च न्यायालय में यह मामला लंबित है और मेरी राय में शीर्ष अदालत को इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। यदि न्यायालय सुनवाई करता है तो इसके उच्च न्यायालय में लंबित मामले पर असर पड सकता है।’’ दवे उच्च न्यायालय में बंबई लायर्स एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। न्यायालय में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उन्हें भी बंबई लायर्स एसोसिएशन से निर्देश मिला है कि शीर्ष अदालत से अनुरोध किया जाये कि उसे इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय पहले ही दो आदेश दे चुका है। एक में उसने नोटिस जारी किया है और दूसरे में इस मामले को 23 जनवरी को सूचीबद्ध किया है। इसलिए शीर्ष अदालत को इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। पीठ ने इस पर कहा, ‘‘हम इसे देखेंगे। हम इस बारे में आपकी आपत्तियों पर गौर करेंगे। कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला के वकील वरिन्दर कुमार शर्मा ने कहा कि यह एक संवेदनशील मुकदमे की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश की एक दिसंबर, 2014 को रहस्यमय मृत्यु का मामला है जिसकी स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार 15 जनवरी तक जवाब दायर करे और मामले को अगली सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया। न्यायाधीश लोया अपने सहयोगी न्यायाधीश की पुत्री के विवाह में शामिल हो गये थे जहां एक दिसंबर, 2014 को कथित रूप से हृदय गति रूक जाने से उनकी मृत्यु हो गयी थी।

न्यायाधीश क्या करते हैं।’’  पिछले महीने उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त होने वाले अनूप मोहता ने कहा कि चार न्यायाधीशों ने इतिहास बना दिया है।  उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश प्रमोद कोदे ने इसे गंभीर मुद्दा करार दिया और उम्मीद जाहिर की कि न्यायपालिका की गरिमा को बनाये रखने के लिए सभी उचित कदम उठाये जाएंगे।

 

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