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जयपुर। केन्द्र सरकार के एसटी-एससी बिल में संशोधन करके इसे संसद में पारित करवाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से निष्क्रिय हुए प्रावधानों को फिर से जोड़ कर कड़ा कर दिया है, लेकिन केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के इस फैसले से सवर्ण और ओबीसी समाज में गुस्सा फैल गया। वे इस बिल को विश्वासघात मान रहे है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना बता रहे हैं। संसद में बिल पास होने के बाद देशभर में एसटी-एसटी बिल और आरक्षण व्यवस्था को लेकर जबरदस्त बहस चल रही है।

कोई आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने की कह रहे हैं तो कोई आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। कुल मिलाकर केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए एसटी-एससी बिल में संशोधन किया है, उसके बाद से देश में फिर से आरक्षण को लेकर बहस शुरु हो गई है। इस बिल को लेकर जयपुर में आरक्षण एक बार संगठन के कर्ताधर्ता डॉ. महावीर सिंह नाथावत, जयश्री शर्मा, एडवोकेट अवस्थी और अभिषेक जैन ने मीडिया से कहा कि देश की आरक्षण व्यवस्था ठीक नहीं है। जिन्हें आरक्षण मिल गया, वे और उनके बच्चे भी क्रीमीलेयर होने के बावजूद आरक्षण का फायदा लेते रहे। जिससे दूसरे गरीब व पिछड़े वर्ग को इसका फायदा नहीं मिल पाया। आरक्षण के इतने सालों के बाद भी देश में समानता नहीं हो पाई।

देश में जातिगत आरक्षण नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे आर्थिक आधार पर लागू किया जाए। आज एसटी-एससी वर्ग में ही नहीं सवर्ण और ओबीसी जातियों में भी करोड़ों लोग गरीबी से जूझ रहे हैं। इन्होंने कहा कि आरक्षण सिर्फ एक बार मिलना चाहिए। एक बार आरक्षण मिलने के बाद उसे व उनके बच्चों को आरक्षण व्यवस्था से वंचित कर देना चाहिए, तभी दूसरों को इसका लाभ भी मिलेगा और देश में समानता आ पाएगी। अन्यथा ऐसे ही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं, जब आरक्षण व्यवस्था के चलते देश में कानून व्यवस्था बिगडऩे लगे। सात दशकों से दलित समाज के लिए हर स्तर पर आरक्षण की व्यवस्था है। स्कूल-कॉलेज में शिक्षा दाखिले, छात्रवृत्ति, नौकरी और फिर पदोन्नति में भी। जब सरकार शिक्षा में आरक्षण दे रही है फिर नौकरी में पुन: आरक्षण, उसके बाद पदोन्नति में भी आरक्षण, यह गलत है। हमारी मांग है कि सरकार आरक्षण की यह सुविधा बार बार ना दे कर सिर्फ एक व्यक्ति को एक बार ही दे।

आजादी के बाद भारत में यह व्यवस्था की गई थी तब समाज के गरीब व दबे-कुचले वर्ग को मुखय धारा में लाना था। ७० साल से इस एसटी-एससी बिल में संशोधन हुआ हर बार सवर्ण और पिछड़ी जातियों के हितों पर कुठाराघात हुआ। सबसे ज्यादा टैकस सवर्ण समाज देता है, लेकिन उनकी थाली से सत्ता के लालची लोग निवाला छीनने लगे है, जो अब बर्दाश्त से बाहर है। इस कृत्य में सवर्ण समाज के सांसद भी लिप्त है, जो एसटी-एससी बिल आने पर आपत्ति नहीं करते हैं। ऐसे ही नेता व सांसद सवर्ण समाज का बेड़ा गर्क कर रहे हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि ऐसे सांसदों को सबक सिखाया जाएगा। साथ ही सवर्ण समाज की खिलाफत करने वाले नेताओं व राजनीतिक दल को भी चुनाव में देखा जाएगा। सवर्ण समाज के हितों पर कुठाराघात करने वाली सरकार और दल को चुनाव में छोड़ेंगे नहीं, बल्कि इन्हें वोट से करारा जवाब दिया जाएगा। इन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संशोधित एसटी-एससी बिल तो पास कर दिया, लेकिन रंजिशन इस वर्ग के लोगों के फर्जी मुकदमों से जांच व जमानत का प्रावधान नहीं होने से सवर्ण समाज को नुकसान झेलना पड़ेगा। ७० साल में दलित समाज की स्थिति नहीं सुधरी तो इसके लिए राजनीतिक दल जिममेदार है। बड़े हद तक दलित समाज भी, जो आरक्षण का लाभ लेने वालों को आरक्षण से वंचित नहीं कर पाया और उनके बेटे-बेटियां सर्वाधिक तौर पर आरक्षण व्यवस्था का लाभ उठाते रहे। बहुत बडा वर्ग आज भी आरक्षण से वंचित है। डॉ माहावीर सिंह नाथावत ने बताया कि आरक्षण सिर्फ एक बार आंदोलन का शुभारंभ पन्द्रह अगस्त से टोंक रोड़ स्थित एसएमएस हॉस्पिटल के पास जीएम एकसरे द्धितीय तल से किया जायेगा। इस आंदोलन को गति प्रदान करने के लिए जिला वार कमेटीयों का गठन भी बुधवार से प्रारम्भ हो जायेगा।

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