पुणे। केंद्रीय मंत्री एवं राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आज यहां दावा किया कि न्यायपालिका और मीडिया में ओबीसी, अनुसूचित जाति (एसएसी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का बहुत कम प्रतिनिधित्व है। कुशवाहा ने कहा कि राष्ट्रपति ने भी इसे लेकर अफसोस जताया है और इस तरह के क्षेत्रों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), एससी, एसटी को जब तक प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, तब तक ज्योतिबा फूले (समाज सुधारक) का सामाजिक न्याय संभव नहीं होगा। ज्योतिबा फूले की पुण्यतिथि पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने निजी क्षेत्र में आरक्षण दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरियां कम हो रही हैं। वहीं, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि वह ओबीसी और अन्य श्रेणियों के सांसदों की दिल्ली में एक बैठक की मेजबानी करने को तैयार हैं , जहां इन श्रेणियों द्वारा शिक्षा, नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में सामना किए जा रहे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। पवार ने कहा, ‘‘ऐसे मंच के जरिए हम प्रधानमंत्री के पास जा सकते हैं और उनके समक्ष मुद्दे पेश कर सकते हैं।’’ कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय महात्मा ज्योतिबा फूले समता परिषद ने किया था ,जिसकी स्थापना राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने की है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री भुजबल कथित धन शोधन के मामले में फिलहाल मुंबई के आर्थर रोड जेल में कैद हैं।
कार्यक्रम में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एवं भाजपा नेता दिलीप काम्बले ने कहा कि भुजबल एक जुझारू व्यक्ति हैं और निकट भविष्य में जेल से बाहर आ सकते हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की एक धारा को रद्द कर दिया है। समाज कल्याण मंत्री काम्बले ने यह भी कहा कि भुजबल जैसे एक व्यक्ति का समाज में रहना जरूरी है क्योंकि वह गरीबों के लिए लड़ते हैं। मंत्री ने कहा कि वह आशा करते हैं कि भुजबल कानूनी लड़ाई जीत जाएंगे और जल्द ही जेल से बाहर आएंगे। वहीं, कुशवाहा ने कहा कि भुजबल को आज इस मंच पर होना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘ भुजबल एक मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं और मैं प्रार्थना करता हूं कि वह जल्द ही हमारे साथ होंगे। ’’ पवार ने अपने भाषण में भुजबल के योगदान की सराहना की और कहा कि समता परिषद और इसके कार्यों के जरिए उन्होंने ज्योतिबा और सावित्रीबाई फूले के विचारों को देश भर में सफलतापूर्वक फैलाया है।