– राकेश कुमार शर्मा

जयपुर। तेज रफ्तार से चलते वाहन लोगों के जीवन के साथ खेल रहे हैं। चाहे वह चौपहिया हो या दुपहिया। स्पीड ने लोगों का जीवन लीलने लगा है। मुम्बई में अभिनेता सलमान खान का मसला हो या जयपुर में विधायक नंदकिशोर महरिया के बेटे से जुड़ा हिट एण्ड रन का मामला हो। इनमें तेज रफ्तार से वाहन चलाते हुए राहगीरों व दूसरे वाहनों को कुचला गया है। देश में ये एक या दो ही नहीं, ऐसे हजारों मामले हैं, जिसमें तेज रफ्तार से चौपहिया व दुपहिया वाहन चलाते हुए लोगों को कुचल दिया गया। अधिकांश मामलों में यह भी सामने आया है कि हादसे के दौरान चालक शराब व दूसरे नशे में धुत्त दिखे। जयपुर के बीएमडब्ल्यू हादसे में चालक विधायक पुत्र सिद्धार्थ नशे में मिला। उसकी कार की रफ्तार सवा सौ किलोमीटर प्रतिघंटा के हिसाब से दौड़ते हुए ऑटोरिक्शा को टक्कर मारी, जिसमें तीन की मौत हुई और सड़क पर खड़ी पुलिस पीसीआर वैन के पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। वर्ष 2014 में पूरे राजस्थान में तेज रफ्तार वाहनों के हादसों में करीब 35सौ से अधिक मौतें हुई और देश भर में 48 हजार लोग काल के ग्रास बने। ओवर-स्पीड हादसों में राजस्थान का पूरे देश में छठा नम्बर रहा, जबकि मेगासिटी में ओवर स्पीड हादसों में जयपुर देशभर में अव्वल रहा है। इन हादसों में जयपुर में 336 की मौतें हुई, जो देश की प्रमुख 52 मेगा सिटी में सर्वाधिक रही। जयपुर के बाद विशाखापट्टनम में 268 और औरंगाबाद में 205 मौतें ओवर स्पीड वाहनों के हादसों से हुई है।  नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक जयपुर सिटी पूरे देश में ओवर-स्पीड मामले में खतरनाक स्थिति पर है। दिल्ली, चेन्नई, मुम्बई, कोलकाता, बंगलुरु जैसे बड़े मेगासिटी भी ओवर-स्पीड हादसों में जयपुर से काफी कम है, जबकि इन शहरों की जनसंख्या जयपुर से तीन से पांच गुणा है और तेज रफ्तार वाहनों की तादाद भी कई गुणा है, लेकिन कानून में खामियां और सख्ती नहीं होने के कारण हादसों पर अकुंश नहीं है। शराब पीकर वाहन चलाना और दुर्घटना आम बात हो गई है। पुलिस भी सिर्फ अभियान चलाकर या सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाकर अपने कार्यों की इतिश्री कर लेती है। अगर पुलिस और सरकार सख्ती बरती तो ना केवल ऐसे हादसों पर रोक लग सकती है, बल्कि सुरक्षित शहर के तौर पर जयपुर की पहचान बन सकती है। अगर ऐसे ही हादसे होते रहे तो पिंकसिटी और टूरिज्म सिटी के नाम से पहचाने जाने वाला जयपुर एक्सीडेंटल सिटी के तौर पर भी ख्यात होने से बच नहीं पाएगा। इसी तरह लापरवाही व खतरनाक तरीके से वाहन चलाने से हुए हादसों में भी देश में 41 हजार से अधिक मौतें हुई, जिसमें 3417 मौतें तो राजस्थान में हुई। वहीं शराब पीकर वाहन चलाने से 71 लोगों की जानें चली गई, जबकि देश में यह आंकडा 2558 का रहा। जयपुर में लापरवाही से वाहन चलाने के करीब छह सौ मामले दर्ज हुए, जिसमें 159 लोगों की जानें गई, हालांकि शराब पीकर वाहन चलाते हुए 45 हादसे दर्ज हुए हैं, लेकिन मौत एक भी नहीं हुई। इस साल जरुर बीएमडब्ल्यू कार हादसे में तीन लोगों की जानें जा चुकी है।

हाइवे या यमलोक-मार्ग

देश व राज्य के नेशनल व स्टेट हाइवे यमदूत बने हुए हैं। देश में जितने भी सड़क हादसे व मौतें हुई, वे 70 फीसदी हाइवे पर सामने आई है हालांकि एक्सप्रेस-वे पर मौतों व हादसों का आंकडा नेशनल हाइवे व स्टेट हाइवे के मुकाबले काफी कम है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में साढ़े चार लाख सड़क हादसे हुए। इनमें 4.77 लाख लोग घायल हुए और एक लाख 41 हजार लोगों की मौतें हुई। इनमें दो लाख चालीस हजार हादसे हाइवे पर हुई, जिसमें 2.62 लाख लोग घायल हुए और करीब 86 हजार लोगों की मौतें हुई। नेशनल व स्टेट हाइवे पर सर्वाधिक मौतें हुई। 45 हजार मौतें तो नेशनल हाइवे पर और स्टेट हाइवे पर 39 हजार मौतें हुई। हालांकि एक्सप्रेस वे पर मौतों का आंकडा काफी कम रहा। एक्सप्रेस वे पर हादसे भी कम हुए तो मौतें भी कम ही रही। 42 सौ सड़क हादसों में से 18 सौ की मौतें हुई। राजस्थान में भी हाइवे पर मौतों का आंकडा भयावह ही रहा। नेशनल हाइवे पर करीब 35 सौ मौतें हुई, जो पूरे देश में चौथे नंबर पर दर्ज हुई है। सर्वाधिक उत्तरप्रदेश में 5503 मौतें नेशनल हाइवे पर हुई। इसी तरह राजस्थान के स्टेट हाइवे पर 2043 मौतें हुई, जो देश में सातवें नम्बर थी। राजस्थान से गुजरने वाले एक्सप्रेस-वे भी हादसों के मामलों में खतरनाक स्थिति पर माने गए हैं। देश में 42 सौ सड़क हादसे हुए एक्सप्रेस वे पर और 1802 मौतें हुई। इसमें से  617 हादसे राजस्थान में हुए, जिसमें 222 लोगों की मौतें भी हुई, जो पूरे देश के एक्सप्रेस-वे हादसों में चौथे नंबर पर रही। तेलंगाना में सर्वाधिक 279 मौतें हुई। जयपुर से गुजरने वाले एक्सप्रेस वे पर पचास हादसे हुए, जिसमें 13 मौतें हुई। इसी तरह जयपुर जिले के नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे पर क्रमश: 848 और 185 सड़क हादसे हुए। नेशनल हाइवे पर 219 और स्टेट हाइवे पर 90 लोगों की मौतें हुई। हाइवे पर सर्वाधिक मौतें घुमावदार मोड पर हुए हादसों के चलते हुई। इसके अलावा वाहनों के आगे जानवर आने से संतुलन बिगडऩे, ओवरटेक, ओवरलोड वाहनों के ब्रेक और स्टीयरिंग फेल होने की वजह से भी हादसे सामने आए हैं। बड़ी संख्या में हादसों का एक कारण शराब व दूसरे नशे के सेवन करते वाहन चलाना भी रहा। सड़क हादसों में भी बड़ी संख्या में महिलाएं भी हताहत हुई है। 2014 में देशभर में सड़क हादसों में 1.19 लाख पुरुषों ने जान गंवाई तो करीब बीस हजार से अधिक महिलाओं को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस दौरान राजस्थान में करीब नौ हजार पुरुष और तेरह सौ महिलाएं मौत की शिकार हुई। जयपुर में 752 पुरुष तो 92 महिलाओं की मौत हुई।

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