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जयपुर। कालवाड़ थाना इलाके में 5 वर्ष पूर्व करण डबरिया के ब्लाइंड मर्डर को खोलने में आखिरकार पुलिस ने सफलता प्राप्त कर ही ली। पांच वर्ष तक पुलिस को इस हत्याकांड के मामले में कोई सुराग नहीं मिला था। जिससे पुलिस ने फाइल बंद ही कर दी थी। लेकिन करधनी थाना पुलिस के एक सिपाही को इस मामले मे क्लू मिला गया। उसने इस मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी। जिस पर एसीपी आस मोहम्मद के नेतृत्व में टीम गठित कर पुन: प्रकरण के तार जोड़े तो 2 आरोपियों को धरदबोचा। जबकि हत्याकांड का मुख्य आरोपी व एक अन्य अभी फरार है। गौरतलब है कि जुलाई 2013 की रात बोदूराम व उसके पुत्र करण डबरिया का कार सवार कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया था। बाद में कार सवार लोग बोदूराम को मारपीट कर मरा हुआ समझकर प्रतापपुरा गांव के समीप पटक गए। जबकि करण डबरिया को अपने साथ ले गए। जिसकी लाश दातारामगढ़ के चंदोली थाना इलाके में मिली।

बदला लेने के लिए उतारा मौत के घाट
डीसीपी अशोक गुप्ता ने बताया कि करण डबरिया ने हत्याकांड से पहले गजेन्द्र सिंह के 9 वर्षीय भांजे को मौत के घाट उतार दिया था। इस मामले में करण जेल चले गया। बाद में जमानत मिली तो जेल से बाहर आ गया। इसी को लेकर गजेन्द्र सिंह सिकडोला के मन में बदला लेने की बात घर कर गई। उसने वारदात को अंजाम देने के लिए अपने दो साथियों वैशाली नगर आरके पुरम निवासी श्रीमत यादव उर्फ रिंकू, दातारामगढ़ हाल मीणावाला शेखावत कॉलोनी निवासी श्याम सिंह व चिड़ावा झुंझुनूं हाल गणेशपुरी वैशाली नगर निवासी अमित सिंह को करण डबरिया व उसके पिता बोदूराम की रैकी करने के काम पर लगा दिया। रैकी के लिए वे लगातार उसके पीछे रहे। हत्यांकाड वाले दिन वे उसके पीछा करते हुए कालवाड़ रोड हाथोज तक आ गए। जहां कार सवार गजेन्द्र सिंह उन्हें भंभोरी रोड पर मिला। उसने करण व बोदूराम को कार से टक्कर मारकर नीचे गिरा दिया। बाद में वे सभी दोनों बाप-बेटों को कार में पटक ले गए। रास्ते में रेनवाल-प्रतापपुरा के पास बोदूराम के हाथ पैर तोड़कर बुरी तरह पीटा। वे उसे मरा हुआ समझकर करण को अपने साथ ले गए। जबकि दातारामगढ़ के पास डबरिया को गाड़ी से उतारकर उसका गला रेत दिया और लाश को पटक कर चले गए।

सिपाही को मिला सूराग तो खुला केस
पुलिस ने बताया कि थाने के एक सिपाही को इस मामले में सूचना मिली थी कि करण की हत्या के पीछे अहम भूमिका गजेन्द्र सिंह व उसके साथी श्याम सिंह व अन्य की है। इस पर इस मामले में नए सिरे टीम गठित कर जांच की गई। जांच के दौरान पुलिस ने नागौर में शराब के ठेके पर काम करने वाले श्याम सिंह व चित्तौड़गढ़ से अमित सिंह को धरदबोचा। दोनों से पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने करण डबरिया की हत्या को अंजाम देना स्वीकार लिया। साथ ही हत्याकांड के अहम राजदार गजेन्द्र सिंह के बारे में जानकारी दी।

खूंखार अपराधी है गजेन्द्र सिंह
पुलिस ने बताया कि गजेन्द्र सिंह एक शातिर बदमाश है। जो सीकर जिले के नैछवा थाने का हिस्ट्रीशीटर व हार्डकोर अपराधी है। उसके खिलाफ नागौर, सीकर, बीाकनेर, चूरू, जयपुर, अजमेर जिला में हत्या, लूट, आर्म्स एक्ट, गंभीर मारपीट के काफी प्रकरण दर्ज है। गजेन्द्र सिंह कुख्यात गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह का नजदीकी मित्र रहा है, जो अजमेर में एक फायरिंग के मामले में आनन्दपाल सिंह का केसवार भी रहा है। करीब साल पहले ही गजेन्द्र सिंह पुलिस के हत्थे चढ़ा था। 27 अप्रेल 17 को रतनगढ़ जेल से सुजानगढ़ तारीख पेशी पर जाते समय 8-10 हथियारबंद बदमाश पुलिस गार्ड की आंखों में मिर्ची झौंककर उसे छुड़ा ले गए थे। उसके बाद से ही गजेन्द्र सिंह फरार चल रहा है। पुलिस अब गजेन्द्र सिंह व उसके साथ श्रीमंत यादव उर्फ रिंकू यादव की गिरफ्तारी के प्रयास में जुट गई है।

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