नई दिल्ली। अस्ताना में शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) की सदस्यता मिलने पर शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान भारत ने सभी SCO मेंबर्स का आभार जताया। बैठक के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ एक मंच पर दिखे। इस दौरान अपने संबोधिन में पीएम नरेन्द्र मोदी आतंकवाद का मुद्दा उठाया। हालांकि इस दौरान पीएम मोदी ने एक बार भी पाकिस्तान का जिक्र नहीं किया। वहीं नवाज शरीफ ने पाकिस्तान को SCO का सदस्य बनाए जाने पर सदस्यों का आभार जताया।

-सहयोग को मिलेगी नई ऊंचाईयां
पीए मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि SCO हमारे राजनीतिक-आर्थिक सहयोग की आधारशिला है। भारत को SCO की सदस्यता निश्चित तौर पर हमारे सहयोग को एक नई ऊंचाईयों पर ले जाएगी। SCO देशों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी भारत की प्रमुखता में है। जिसका भारत समर्थन करता है। उम्मीद है कि यही कनेक्टिविटी हमारी भावी पीढ़ी व समाजों के बीच सहयोग का मार्ग प्रशस्त करे। आतंकवाद पर बोलते हुए कहा कि मानव अधिकारों व मानवीय मूल्यों के सबसे उल्लघंनों में आतंकवाद एक है। इसके खिलाफ संघर्ष SCO के सहयोग का एक प्रमुख व अहम भाग है। मुद्दा चाहे रेडिकलाइजेशन का हो या फिर आतंकियों की भर्ती, उनकी ट्रेनिंग या उन्हें फाइनेंस का। जब तक इस दिशा में हम मिलकर काम नहीं करेंगे। तब तक समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। इस बारे में SCO के प्रयास सराहनीय हैं। आतंक के खिलाफ लड़ाई को यह एक नई दिशा व मजबूती प्रदान करेगा।

-भारत को दी बधाई
पीएम मोदी के संबोधन के बाद नवाज शरीफ ने अपने संबोधन में SCO का सदस्य बनने पर जहां सदस्यों का आभार जताया तो भारत पाक के लिए अच्छा दिन की बात कही। कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंक से जूझ रहा है। आतंकवाद को लगाम लगाने में हम काफी हद तक कामयाब रहे हैं। दुनिया को बदलने में हम योगदान देना चाहते हैं।

-वर्ष 2001 में स्थापित हुआ SCO 
बता दें SCO 6 देशों का एक पॉलिटिकल व सिक्यूरिटी ग्रुप है। जिसकी शुरुआत वर्ष 2001 में हुई थी। इसका मुख्यालय बीजिंग में है। SCO की समिट वर्ष 2015 में रुस के उफा में आयोजित हुई थी। इस समिट में भारत पाक को संगठन के स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल करने के प्रस्ताव को पारित किया गया था। इस संगठन में भारत पाक से पहले चीन, रुस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान व किर्गिस्तान स्थायी सदस्य है। जबकि अफगानिस्तान, ईरान, बेलारुस व मंगोलिया सुपरवाइजर कंट्री हैं। इस संगठन को सदस्य देशों के बीच मिलिट्री को-ऑपरेशन के लिए बनाया गया है। जिसमें खुफिया जानकारियों को साझा करने व मध्य एशिया में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाना शामिल है। भारत वर्ष 2004 से ही ऑब्जर्वर की भूमिका के तौर पर शामिल होता रहा है। वर्ष 2014 में भारत ने इसकी स्थायी सदस्यता के लिए आवेदन किया, जिस पर 2015 में रुस के उफा में इस पर सहमति बनी व प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।

-मोदी से मिले जिनपिंग
समिट के दौरान चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी से मिले। दोनों ही शीर्ष नेताओं के बीच चीन-पाक आर्थिक गलियारे व एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर चर्चा हुई। साथ ही दोनों देशों के बीच तनाव कम करने को लेकर मंथन किया गया।

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