जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने आज मण्डावा विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी सुशीला सिगड़ा के समर्थन में दर्जनों पंचायतों में जनसम्पर्क किया। इस दौरान अलसीसर में पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं प्रचार के लिए मण्डावा के गाँव-गाँव जा रहा हूँ, गाँवों के बुजुर्गों का आशीर्वाद मिल रहा है, ग्रामीण वसुन्धरा सरकार द्वारा पिछले 5 वर्षों में कराए गए कामों को याद कर रहे है और उन कामों की तुलना गहलोत सरकार से करके दुःखी हो रहे है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीतियां और स्वयं कांग्रेस पार्टी देश में पिछडेपन, भ्रष्टाचार और जातिवाद का बड़ा कारण है। कांग्रेस का मुक्त होना भारत और राजस्थान के लिए बेहतर होगा। भाजपा मण्डावा की सीट और गठबंधन सीट बडे अंतर से जीतेगी, इस जीत से प्रदेश में कांग्रेस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत झुन्झुनूं आए लेकिन मण्डावा में उपचुनाव होते हुए भी पार्टी के प्रत्याशी के प्रचार के लिए नहंी आए, क्या उन्हें किसी ने मना किया था या जनता उनसे 10 महीने का हिसाब पूछती, इसलिए मण्डावा आने की हिम्मत नहीं की। मण्डावा में सभा के दौरान क्षेत्र के शीर्ष नेता शीशराम ओला जी का नाम नहीं लिया गया, झुन्झुनूं के विधायक सभा में मौजूद नहीं थे और जो नेता आए वे भी खाना पूर्ति करके चले गए। इससे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस दो धड़ों में बंटी हुई है तथा मण्डावा के उम्मीदवार को भगवान के भरोसे छोड़ दिया हो।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में मौजूदा कांग्रेस की सरकार गलती से आई है। मात्र 1.50 लाख वोटों का अन्तर था जो कि प्रदेश की जनता से दो बड़े वायदे किसानों की ऋणमाफी और युवाओं को बेरोजगारी भŸाा करने के बाद आई। सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने जनता से वादाखिलाफी की और ना तो प्रदेश के 60 लाख किसानों का 99 हजार करोड़ का कर्जा माफ हुआ और ना हीं 27 लाख बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भŸाा मिला। प्रदेश में अभी मात्र 10 हजार युवाओं तक यह मुआवजा पहुँचा है। प्रदेश में सरकार बनने के साथ ही कांग्रेस में फूट साफ दिखाई दे रही है। सचिन पायलट जी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा लेकर आए थे, लेकिन उपमुख्यमंत्री बनाए गए। पहले ही दिन मंत्रीमण्डल का झगड़ा हुआ, उसके बाद विभागों के बंटवारे को लेकर झगड़ा हुआ। सरकार का अपनी ही पार्टी के मंत्रियों पर नियंत्रण नहीं है। कांग्रेस के विधायक ही अपनी पार्टी के खिलाफ बोलते है और धरने पर बैठते है। इसके कारण प्रदेश में अराजकता बढ़ गई, दुष्कर्म, बलात्कार, लूटपाट आदि घटनाओं में आए दिन बढ़ोतरी होती जा रही है। झुन्झुनूं में जतिन सोनी की मौत अपने आप में सरकार पर सवालिया निशान खड़े करती है। एक पंच लाईन जो थानों के बाहर लिखी जाती है ‘‘आमजन में विश्वास-अपराधियों में भय’’ राजस्थान में इसका उल्टा हुआ, अपराधी बेखौफ है, अपराधी विश्वास से भरे हुए है और आमजन में भय व्याप्त हुआ है। जनघोषणा में सुरक्षा का दावा करने वाली सरकार आज कानूनी मोर्चे पर विफल होती दिखाई देती है।

पूनियां ने कहा कि कल उपमुख्यमंत्री जी का हाईब्रिड माॅडल को लेकर जो बयान आया है वह इस माॅडल के पक्ष में नहीं है। सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए, यह बड़ा विस्फोटक है। धुआं है तो आग भी निश्चित रूप से है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले 2011 की जनगणना के आधार पर भाजपा वार्डों का पुनर्सीमांकन कर चुकी थी, जिस पर किसी को भी आपŸिा नहीं थी और सहज व सुन्दर तरीके से निकाय चुनाव सम्पन्न हुए। कांग्रेस पार्टी ने सरकार आने के बाद विधानसभा में प्रत्यक्ष चुनाव के लिए प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन चुनाव आते ही उस निर्णय को वापस ले लिया। यह सरकार शुरू से ही निकाय चुनावों को लेकर परेशान है, जिस कारण वार्डों का पुनर्सीमांकन किया, जिसमें जाति, पंथ और मजहब के नाम पर वार्डों के बांटने की कोशिश की और अब हाईब्रिड माॅडल लेककर आई है, जिसे राजस्थान के भोले-भाले मतदाताओं ने पहली बार सुना। इसमें बिना चुनाव लड़े कोई भी व्यक्ति मेयर, सभापति और चैयरमेन के पद पर काबिज हो सकता है। कोई भी प्रणाली जब लोकतंत्र में लागू होती है तो उस पर चर्चा और रायशुमारी जरूरी होती है, लोगों की राय जानी जाती है।
पूनियां ने कहा कि ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री जी अपने बेटे की लोकसभा की हार को पचा नहीं पा रहे है और शुरू से उस बेटे की बेरोजगारी दूर करने में लगे हुए थे। आर.सी.ए. के माध्यम से रामेश्वर डूडी और मुख्यमंत्री जी के बेटे के बीच में सड़कों पर जो संघर्ष हुआ, कानूनी लड़ाई लड़ी गई वह अपनी ही पार्टी में इस प्रकार का विग्रह क्रिकेट की सियासत में पहली बार देखने को मिला। हाईब्रिड माॅडल से ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री जी अपने बेटे को दूसरा रोजगार देने की फिराक में है। इसके जरिए कहीं जोधपुर में मेयर के रूप में ताजपोशी करने की फिराक में तो नहीं है।

उन्होंने कहा कि 2014 के बाद देश की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। नरेन्द्र मोदी जी देश में एक नायक के रूप में उभरे। उन्होंने बुनियादी विकास को लेकर देश के स्वाभिमन को ऊँचा करने का काम किया। लोकसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दों के अलावा राष्ट्रवाद बड़ा मुद्दा बना, मोेदी जी लोगों के भरोसे पर खरे उतरे और अनुच्छेद 370 एवं 35-ए, इसके बाद देश में राष्ट्रवाद का जो नवजागरण हुआ उससे कोई जाति, धर्म, समाज और कोई व्यक्ति नहीं बचा। आज मोदी जी की नीतियों पर आमजन को भरोसा है। पूनियां ने आज चुनाव प्रचार के अन्तिम दिन ठमकोर, अलसीसर, बाडेट, ढीलसर, गाँज्ञासागर, लूट्टू गाँव, निराधनु और हासासर आदि स्थानों पर जनसम्पर्क किया। जनसम्पर्क के दौरान अनेक स्थानों पर सतीश पूनियां का फूल माला और साफा पहनाकर भव्य स्वागत हुआ तथा हासासर में उन्हें केलों से तोला गया।
इस दौरान सांसद नरेन्द्र कुमार, सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनियां, पूर्व जिलाध्यक्ष विशम्भर पूनियां, प्रधान गिरधारी लाल, राष्ट्रीय लोकतंात्रिक पार्टी के प्रभारी मनीष चैधरी, डाॅ. विश्वनाथ मेघवाल और राजेश बाबल सहित अनेक भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ता भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के साथ रहे। पूनियां ने आचार्य महाप्रज्ञ की जन्मस्थली को प्रणाम कर श्रद्धासुमन अर्पित किए और भारतीय सेना से सेवानिवृत शौर्य चक्र विजेता मुबारक अली का माला पहनाकर स्वागत किया।

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