– पैलेस ऑन व्हील्स और रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स में पर्यटक टिकट बुकिंग घोटाला। आरटीडीसी  एमडी ने लेखाधिकारी को किया बर्खास्त और मामले की फाइल एसीबी को भेजी।
जयपुर। राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) की शाही रेलें पैलेस ऑन व्हील्स और रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स में सामने आ चुके करीब 14 करोड़ रुपए के पर्यटक टिकट बुकिंग घोटाले की जांच में अब जाकर तेजी आई है। आरटीडीसी प्रशासन ने इस घोटाले में लिप्त रहे एक लेखाधिकारी को बर्खास्त कर दिया है, साथ ही ठण्डे बस्ते में पड़ी इस घोटाले की फाइल से धूल हटाकर कानूनी कार्रवाई के लिए एसीबी तक भिजवा दी है। इससे लग रहा है कि अब इस घोटाले के दोषियों पर कानूनी शिकंजा कस सकेगा। चार साल पुराने इस घोटाले में मात्र बयानबाजी और कागजी कार्रवाईयां ही हो रही थी। ना तो घोटाले में लिप्त टूर कंपनी लग्जरी हॉलिडेज नई दिल्ली से वसूली हो पा रही थी और ना ही घोटाले को अंजाम देने वाले अफसरों व टूर कंपनी पर आपराधिक कार्रवाई। जबकि महालेखाकार राजस्थान, आरटीडीसी की इंटरनल और विजीलैंस जांच में भी इस घोटाले की पुष्टि बहुत पहले ही हो चुकी थी। लेकिन तब आरटीडीसी प्रशासन ने दोषी अफसरों व कंपनी संचालकों पर कार्रवाई नहीं की।
– नए एमडी ने दिखाए तेवर, एसीबी को फाइल भेजी, लेखाधिकारी को किया बर्खास्त
14 करोड़ के इस घोटाले में त्वरित कार्रवाई को अंजाम दिया है कि आरटीडीसी में हाल ही आए प्रबंध निदेशक प्रदीप कुमार बोरड ने। बोरड ने आरटीडीसी को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले इस मामले की गहनता से पडताल की और दोषियों पर कार्रवाई अमल में लाई। घोटाले में लिप्त रहे लेखाधिकारी मधु छुगानी को बर्खास्त कर दिया। मामले में दूसरे दोषियों पर कानूनी कार्रवाई के लिए एसीबी राजस्थान के महानिदेशक को पत्र लिखकर मुकदमा दर्ज करने की अनुशंषा की है। मामले में जयपुर और दिल्ली कार्यालय के आधा दर्जन अफसर और लेखाकर्मियों पर कार्रवाई लंबित है। इनके खिलाफ भी आरटीडीसी प्रशासन जल्द एक्शन ले सकता है। एसीबी जांच में शाही रेल के कुछ जीएम, मैनेजर पर भी आंच आ सकती है। क्योंकि टूर कंपनी लग्जरी हॉलिडेज की पर्यटक बुकिंग के नाम पर हुए इस घोटाले में उनकी भी मिलीभगत रही है, लेकिन कमीशनखोरी के चलते उन्होंने इस मामले में पर्दा डाले रखा और टूर कंपनी घोटाले को अंजाम देती रही।
– इस तरह आरटीडीसी को पहुंचाया आर्थिक नुकसान
आरटीडीसी की दोनों शाही रेलों के पर्यटकों की बुकिंग के लिए देश और विदेश में टूर कंपनियों को अपने एजेन्ट नियुक्त कर रखे हैं। इन टूर कंपनियों के माध्यम से आरटीडीसी पर्यटकों की बुकिंग करवाती है, जिसके एवज में कंपनियों को बीस फीसदी तक कमीशन मिलता है। इसी तरह की नई दिल्ली की लग्जरी हॉलिडेज कंपनी भी आरटीडीसी की एजेन्ट थी, जो एक दशक से आरटीडीसी के लिए काम कर रही थी। इस कंपनी ने वर्ष 2012-13, 2013-14 के दौरान दोनों शाही रेलों में करीब पचास फीसदी से अधिक सीटें बुक करवाई। कंपनी ने पर्यटकों से तो प्रति टिकट लाखों रुपए की राशि ले ली, लेकिन यह राशि आरटीडीसी में जमा नहीं करवाई। यहीं नहीं इन बुकिंग के आधार पर आरटीडीसी से भी करीब बीस फीसदी कमीशन भी टूर कंपनी को दिलवा दिया। जब सीजन में शाही रेलें चलीं तो कंपनी ने करीब सत्तर फीसदी बुकिंग कैंसिल करवा दी, जबकि कंपनी दावा कर रही थी कि पर्यटकों का पैसा आ चुका है और इसके आधार पर आरटीडीसी से कमीशन भी उठा लिया। टिकट कैंसिल होने पर आरटीडीसी के हाथ में कुछ नहीं आया और ना ही कंपनी ने टिकट राशि जमा कराई। इससे आरटीडीसी को करीब चौदह करोड़ की चपत लगी, साथ ही बाजार में साख पर आंच आई। आरटीडीसी ने कंपनी से पैसा मांगा तो चेक दे दिए, लेकिन वे भी अनादरित हो गए। चेक अनादरण के मामले दिल्ली कोर्ट में चल रहे हैं। उधर, इस घोटाले में शाही रेलों की मार्केटिंग और लेखा शाखा से जुड़े जीएम, मैनेजर और लेखाधिकारियों के साथ शाही रेलों के अफसरों की भी मिलीभगत रही। शुरुआत में यह घोटाले सामने आने पर दिल्ली कार्यालय में पदस्थापित जीएम प्रमोद शर्मा को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन दूसरे दोषी अफसरों व कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। अब मामला एसीबी में जाने से दोषी अफसरों व टूर कंपनी पर कानूनी शिकंजा कस सकेगा।

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