जयपुर। राज्य सरकार प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए लगातार महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील निर्णय ले रही है। इस कड़ी में रोजगार के अवसर बढ़ाने तथा स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना को संशोधित कर उद्यमियों के लिए अधिक सुगम और लाभकारी बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने योजना के प्रावधानों और इसके लिए मार्गदर्शिका में संशोधन के प्रस्तावों का अनुमोदन कर दिया है।
गहलोत द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार,योजना के अंतर्गत ऋण एवं ब्याज अनुदान के लिए भारत सरकार द्वारा परिभाषित सूक्ष्म एवं लघु उद्यम ही पात्र होंगे। साथ ही, ब्याज अनुदान के लिए आवेदन प्रक्रिया को कई स्तर पर सरलीकृत किया जाएगा।
योजना के नए प्रावधान के अनुसार, ऋण देने वाले वित्तीय संस्थान द्वारा अपनी योजनाओं के तहत वितरित ऋण के पर््रकरण में ब्याज अनुदान के लिए आवेदन जिला स्तरीय टास्क फोर्स समिति को भेजने की अनिवार्यता नहीं होगी। ऎसे प्रकरणों को जिला नोडल अधिकारी के स्तर पर ही अनुदान के लिए पात्रता स्वीकार कर निस्तारित कर दिया जाएगा। राजस्थान अरबन को-ऑपरेटिव बैंक भी विभिन्न शाखाओं के माध्यम से इस योजना के अंतर्गत वित्तीय संस्थान के रूप में ऋण उपलब्ध करा सकेगा।
नए प्रस्ताव के अनुसार, हस्तशिल्पी, दस्तकार अथवा शिल्पी कार्ड धारकों को 3 लाख रूपए तक के ऋण पर ब्याज राशि का शत-प्रतिशत पुनर्भरण अनुदान के रूप में देय होगा। बुनकर कार्ड धारक बुनकरों के लिए 1 लाख रूपए तक के ऋण पर ब्याज राशि के 100 प्रतिशत पुनर्भरण की वर्तमान में प्रचलित सुविधा जारी रहेगी।

संशोधित योजना में वित्तीय संस्थानों द्वारा अधिकतम 10 करोड़ रूपए तक का ऋण उपलब्ध करवाने और भूमि हेतु कुल ऋण राशि का अधिकतम 25 प्रतिशत ऋण ब्याज अनुदान हेतु पात्रता को संशोधित कर 10 करोड़ रूपए तक के ऋण तथा उद्योग के विस्तार, विविधिकरण एवं आधुनिकीकरण के लिए अधिकतम 1 करोड़ रूपए तक का ऋण उपलब्ध करवाने और भूमि हेतु कुल ऋण राशि का अधिकतम 25 प्रतिशत ऋण ब्याज अनुदान हेतु पात्रता होगी। साथ ही, विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में कंपोजिट ऋण का अधिकतम 40 प्रतिशत कार्यशील पूंजी तथा व्यापार क्षेत्र में कंपोजिट ऋण का अधिकतम 75 प्रतिशत कार्यशील पूंजी वाले प्रोजेक्ट को भी योजना का लाभ मिल सकेगा।

योजना के तहत, सूक्ष्म उद्यमों को व्यापार हेतु अधिकतम 1 करोड़ रूपए का ऋण मिल सकेगा। इसमें ब्याज अनुदान की राशि का दो-तिहाई हिस्सा सूक्ष्म उद्यमों को दिलवाने को प्राथमिकता दी जाएगी। योजना के तहत अपात्र उद्योग इकाई द्वारा ब्याज अनुदान का लाभ लिए जाने पर जिला टास्क फोर्स प्रकरण को निरस्त कर सकेगी और चुकाई गई राशि 18 प्रतिशत दंडनीय ब्याज के साथ वसूली जाएगी। खनन, रियल स्टेट, शैक्षणिक संस्थान, कोचिंग, अलाभकारी संस्थाओं, एनजीओ, ट्रस्ट आदि द्वारा संचालित गतिविधियों से जुड़े उद्यम इस योजना के लिए लाभ के पात्र नहीं होंगे।
गहलोत द्वारा अनुमोदित मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना की मार्गदर्शिका में पात्र उद्योगों से प्रतिवर्ष आवेदन आमंत्रित किए जाने, ऋण स्वीकृति हेतु जिला स्तरीय टास्क फोर्स समिति की अभिशंषा प्राप्त करने और उक्त आवेदनों पर प्राथमिकता के आधार पर ब्याज अनुदान देने का निर्णय लेने के प्रावधान शामिल किए गए हैं। संशोधित योजना के अनुसार, वर्ष के अंत में शेष रहे आवेदन पत्रों को आगामी वित्तीय वर्ष में ब्याज अनुदान का पात्र माना जाएगा। इन आवेदन पत्रों को आगामी वर्ष के निर्धारित लक्ष्यों में शामिल कर इनको ब्याज अनुदान का लाभ देने में प्राथमिकता दी जाएगी।
योजना के तहत विभिन्न वित्तीय संस्थानों को ऋण वितरण तथा ब्याज अनुदान के लिए प्रेषित आवेदनों में प्रतिवर्ष उपलब्ध बजट सीमा से अधिक के दायित्व सृजित नहीं किए जाएंगे। इसमें हर स्तर पर अनुसूचित जाति अथवा जनजाति एवं अनुसूचित जनजाति बाहुल्य अथवा पिछड़े क्षेत्रों के उद्यमियों को प्राथमिकता दी जाएगी। ऋण वितरण के लिए लक्षित बजट का यथासंभव 20 प्रतिशत तथा ब्याज अनुदान के लिए 15 प्रतिशत लाभ इन संवगोर्ं के उद्यमियों को दिया जाएगा। योजना में यथासंभव 30 प्रतिशत महिला उद्यमियों को ऋण प्रदान कराने में सहयोग एवं प्राथमिकता दी जाएगी।

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