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जयपुर । राजस्थान हाईकोर्ट ने लोक सेवकों के खिलाफ केस दर्ज कराने से पहले सरकारी की मंजूरी लेने और इस अवधि में लोक सेवक की पहचान उजागर नहीं करने संबंधी अध्यादेश को लेकर दायर याचिकाओं को सारहीन होने के चलते निस्तारित कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि यदि इस दौरान विधेयक के चलते किसी पर आईपीसी की धारा 228बी के तहत कार्रवाई हुई हो तो संबंधित पक्ष इसे अदालत में चुनौती दे सकता है। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश पीसीसी चीफ सचिन पायलट सहित आधा दर्जन से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जा चुका है। जहां इसके लागू रहने की समय सीमा भी समाप्त हो गई है। ऐसे में याचिका को सारहीन होने के चलते निस्तारित किया जाए। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इस अवधि में यदि किसी पक्ष पर कार्रवाई हुए तो उसे राहत मिलनी चाहिए। इस पर अदालत ने याचिकाओं को निस्तारित करते हुए कहा है कि यदि इस दौरान किसी व्यक्ति पर कार्रवाई हुई है तो वह अदालत में चुनौती दे सकता है।

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