नई दिल्ली। पनामा पेपर लीक मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। साथ ही केन्द्रीय मंत्रीमंडल को बर्खास्त कर दिया गया है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को दोषी करार देते हुए पीएम पद के लिए उन्हें आयोग घोषित कर दिया। कोर्ट ने उन्हें काला धन जमा करने के आरोप में दोषी ठहराया है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जवाबदेही अदालत इस मामले में 6 माह के भीतर अपना फैसला सुनाए। पाक की सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच (जस्टिस एजाज हसन, जस्टिस एजाज अफजल, जस्टिस सईद शेख, जस्टिस आसिफ सईद खोसा और जस्टिस गुलजार अहमद) ने नवाज को दोषी करार दिया। इस बेंच के जस्टिस खोसा और जस्टिस गुलजार पीएम नवाज शरीफ को अपने शुरुआती निर्णय में पहले ही अयोग्य करार दे चुके हैं। जबकि शेष 3 जजों ने इस मामले में अब आगे की जांच का आदेश दिया था। लेकिन सुनवाई के बाद पांचों ही जजों ने उन्हें एक स्वर में दोषी करार दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में नवाज के अतिरिक्त उनकी बेटी व दामाद को भी दोषी माना। इससे पहले 21 जुलाई को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एजाज अफजल की अध्यक्षता में 5 न्यायाधीशों की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बता दें पाकिस्तान के संविधान के अनुसार कानूनी तौर पर देश का पीएम सच्चा व ईमानदार होना चाहिए, लेकिन इस फैसले के बाद नवाज शरीफ न सच्चे रहे और न ही ईमानदार। ऐसे में अब उनका दोबारा पीएम बनना भी संभव नजर नहीं आ रहा है। इससे पहले भी जब जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट किया तो नवाज को पीएम की कुर्सी के साथ देश भी छोडऩा पड़ा था।

-इमरान खान ने भी पेश थी याचिका
पनामा पेपर लीक मामले में नवाज शरीफ का नाम सामने आने के बाद विपक्षी दल तहरीक ए इंसाफ अध्यक्ष इमरान खान ने याचिका दायर कर मांग की थी कि जल्द से जल्द इस मामले में फैसला सुनाया जाए। वहीं शुरुआती फैसले के बाद एक संयुक्त जांच टीम गठित की थी। इस टीम ने 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

-खतरे में आया सियासी भविष्य
पाकिस्तान की शीर्ष अदालत का फैसला आने के साथ ही अब नवाज शरीफ का सियासी भविष्य अधर में लटक गया है। वहीं पाकिस्तान की राजनीति में बड़ा भूचाल सा आ गया है। अब नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) को अपना नया नेता चुनना होगा। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि सत्ता अब उनके परिवार के हाथों से बाहर जा सकती है। जबकि मुख्य विपक्षी पीपीपी भी मजबूत स्थिति में नहीं है।

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