जोधपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर फिर हमला बोला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संजीवनी सोसायटी में जो भी होता था वो शेखावत की मर्जी से होता था। गहलोत मंगलवार को जोधपुर में मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि केंद्रीय मंत्री ने उन पर मुकदमा किया है। ऐसे में अगर मुझ पर मामला दर्ज होने के बाद भी गरीब जनता को उनके हक का पैसा वापस मिलता है तो मैं सजा भुगतने के लिए तैयार हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीड़ितों के ऐसे कई मामले आए हैं, जहां उनकी बातों को सुनकर आंखों में आंसू आ जाते हैं। केंद्रीय मंत्री का इस पर कोई बयान नहीं आया है। उनको आगे बढ़कर जनता का पैसा दिलाना चाहिए। गहलोत ने केंद्रीय मंत्री को आड़े हाथ लेते हुए केंद्र सरकार की योजनाओं में प्रदेश को लाभ से वंचित रखने की बात कही। नए जिलों के निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे-छोटे राज्यों के भी कई जिले हैं। राजस्थान में नए जिले बनाने की जरूरत काफी वक्त से थी। ऐसे में विकास की संभावनाओं को देखते हुए राजस्थान को देश का नंबर एक प्रदेश बनाने के उद्देश्य से नए जिले बनाए गए हैं। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ मानहानि का दावा कर रखा है। मुख्यमंत्री गहलोत ने 21 फरवरी को सचिवालय में बजट की समीक्षा बैठक के बाद कहा था कि संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह के मां-बाप, पत्नी सहित पूरा परिवार शामिल है। उन्होंने कहा था कि अफसोस है, ऐसे घपलेबाज को पीएम ने मंत्री बना रखा है। राजस्थान सोसायटी एक्ट के तहत साल 2008 में संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को रजिस्टर्ड कराया गया। बाड़मेर में शुरुआत हुई। साल 2010 में ये सोसायटी मल्टी स्टेट सोसायटी हो गई। 12 साल में ही 230 से ज्यादा शाखाएं खुल गईं। इसके प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह मास्टरमाइंड है, जो जेल में बंद है। 1 लाख लोगों से 900 करोड़ की ठगी की गई। फर्जी लोन बांटे और ब्याज नहीं लिया। कुछ निवेशकों ने शिकायत की तो राजस्थान एसओजी को मामला सौंपा। हजारों खाते फर्जी पाए गए। आरोप है कि विक्रम ने निवेशकों का पैसा ऐसी कंपनी के शेयर खरीदने में लगाया, जिसके शेयर होल्डर गजेंद्र सिंह भी थे।

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