Modi

गुजरात में लगातार छठी बार भाजपा जीती, वहीं हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया

जयपुर। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे। दोनों राज्यों में मोदी मैजिक चला। पीएम नरेन्द्र मोदी पर विश्वास जताते हुए वोटर्स ने खुलकर भाजपा को वोट दिए। गुजरात में लगातार छठी बार जीत हासिल की। वहीं हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। हिमाचल प्रदेश में 68 में से भाजपा ने 44 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। सत्तारुढ़ कांग्रेस मात्र 21 सीटों पर रह गई। हालांकि इस चुनाव में भाजपा की ओर से सीएम पद के प्रत्याशी और दो बार मु यमंत्री प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए। धूमल अपने ही पार्टी के बागी होकर कांग्रेस टिकट पर लड़े राजेन्द्र सिंह राणा से चुनाव हारे हैं। राणा धूमल के चेले रहे है। सबसे चर्चित चुनाव गुजरात के रहे। यहां भाजपा ने लगातार छठी बार जीत हासिल की है, लेकिन इस बार चुनाव नतीजे वो नहीं रहे, जो हमेशा रहते आए है। गुजरात में भाजपा को 99 सीटें मिली है। कांग्रेस को 80 सीटें मिली है। वहीं दलित नेता जिग्नेश मेवाणी समेत तीन निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए है। भाजपा की भले ही सीटें पहली बार एक सौ से नीचे आई है, लेकिन वोट प्रतिशत बढ़ा है। कांग्रेस का भी वोट प्रतिशत बढ़ा है, जिसका फायदा उसे मिला और वो गत पच्चीस साल में पहली बार 80 के आंकडे तक पहुंची और वोट प्रतिशत भी 41 फीसदी पहुंच गया। गुजरात के चुनाव और प्रचार भी कांटे का रहा। पीएम मोदी वर्सज राहुल गांधी के नाम पर यह चुनाव लड़ा गया। केन्द्र के तमाम केबिनेट मंत्री गुजरात में जुटे रहे तो कांग्रेस की पूरी वरिष्ठ नेताओं की टीम चुनावी समर में लगी रही। इस चुनाव ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की साख और राजनीतिक परिपक्ता भी दिखाई दी। गुटों में बिखरी पार्टी और नेताओं को एक किया, साथ ही आक्रामक चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है। हालांकि पीएम नरेन्द्र मोदी के आक्रामक अंदाज और प्रचार के आगे कांग्रेस टिक नहीं पाई। गुजरात विकास पर लोगों ने भाजपा का साथ दिया।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रभारी भूपेन्द्र यादव के नेतृत्व में कार्यकतार्ओं और नेताओं की टीम ने चुनाव संचालन में कोई कसर नहीं छोड़ी, चाहे वह बूथ मैनेजमेंट और गुजरात के समाज व लोगों को पार्टी के पक्ष में करने की बात हो या बगावती तेवर अपनाए हुए कार्यकतार्ओं को शांत करने का जि मा, उन्होंने बखूबी निभाया। यहीं कारण है कि कांग्रेस को लगातार छठी बार सत्ता से बाहर रखा, जबकि इस बार कांग्रेस पूरी ताकत और आक्रामकता के साथ चुनावी समर में उतरी थी। यूपी में भाजपा व कांग्रेस में इतना घमासान नहीं हुआ, जितना गुजरात में देखने को मिला। कांग्रेस को गुजरात के उन तीन युवाओं का साथ मिला, जो अपने-अपने समाज में खासे लोकप्रिय है और उनके आंदोलन के अगुवा भी रहे। पाटीदार आंदोलन के अगुवा हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस को सीधा समर्थन दिया। जिग्नेश व ठाकोर तो चुनाव भी जीते। हार्दिक ने चुनाव नहीं लड़ा। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस से गए शंकर सिंह बाघेला की बगावत और एक दर्जन विधायकों के चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामने से कांग्रेस कमजोर हुई। इसका फायदा भाजपा को मिला। भाजपा ने इसका फायदा भी उठाया। वाघेला के प्रत्याशियों के कारण कई सीटों पर कांग्रेस को ठाकुर व दलित समुदाय के वोटों का बंटवारा झेलना पड़ा। इस चुनाव में अमर्यादित भाषाओं और व्यक्तिगत छींटाकशी भी खूब हुई। आरोप-प्रत्यारोप के दौर भी चले, लेकिन चुनाव शांतिपूर्ण रहे। इस चुनाव ने पहली बार भाजपा को पसीना ला दिया। चुनाव नतीजों में ९९ सीटें ही जीतना पार्टी का सबसे कम प्रदर्शन माना जा रहा है, जबकि इस चुनाव में पार्टी 150 सीटें जीतने का दावा कर रही थी। क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा को इतनी सीटों पर बढ़त मिली थी। नतीजों के बाद दोनों ही दल समीक्षा करेंगे। भाजपा को कम सीटें आने की पडताल करेगी तो कांग्रेस यह विचार करेगी कि कहां चूक हो गई, जिससे वह सत्ता के नजदीक पहुंचकर भी पीछे रह गई।

 

 

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