नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज केन्द्र को निर्देश दिया कि बाल यौन दुराचार, बाल पोर्नोग्राफी और सामूहिक बलात्कार के वीडियो के बारे में नागरिकों को शिकायत दर्ज कराने के लिये अगले साल दस जनवरी तक एक वेबपोर्टल तैयार किया जाये।न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को केन्द्र ने बताया कि इस संबंध में एक पोर्टल बनाया गया है जो एक महीने के भीतर तैयार हो जायेगा। इस पोर्टल के इस्तेमाल के लिये एक मानक प्रक्रिया भी तैयार की जा रही है।हालांकि पीठ ने कहा कि यही उचित समय है जब केन्द्र पोर्टल तैयार करे और जनता के उपयोग के लिये इसे उपलब्ध कराये।पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इस मामला काफी लंबे समय से लंबित है और सीबीआई के आठ अक्तूबर, 2015 के हलफनामे से हमें पता चलता है कि पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराने के लिये कदम उठाये जा रहे हैं। इसलिए हम केन्द्र सरकार को इसे 10 जनवरी, 2018 तक या उससे पहले तैयार करने का निर्देश देते हैं। हम चाहते हैं कि इस बारे में हुयी प्रगति के संबंध मे ंसुनवाई की अगली तारीख आठ जनवरी को रिपोर्ट दी जाये।’’ पीठ इस मामले में न्यायालय के बंद कक्ष में सुनवाई कर रही थी।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील के इस कथन का भी संज्ञान लिया कि इस पोर्टल का पर्याप्त प्रचार होना चाहिए ताकि जनता इस पर अपनी शिकायतें दर्ज करा सके। न्यायालय ने केन्द्र की प्रगति रिपोर्ट पर गौर किया परंतु कहा कि दुर्भाग्य से प्रगति रिपोर्ट के अवलोकन से पता चलता है कि यह स्थिति रिपोर्ट की बजाय टिप्पणियों सरीखी है। शीर्ष अदालत हैदराबाद के गैर सरकारी संगठन प्रज्जवला द्वारा 2015 में एक पेन ड्राइव में दो वीडियो टेप के साथ तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू को भेजे गये पत्र को जनहित याचिका के रूप में लेते हुये इस पर सुनवाई कर रही थी। न्यायलय ने व्हाट्सएैप पर इन वीडियो को अपलोड करने की घटना का स्वत: ही संज्ञान लेते हुये केन्द्रीय जांच ब्यूरो से इसकी जांच कर अपराधियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था।


































