delhi.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात संबोधन में यह उल्लेख किया कि पर्यटन में मूल्य संवर्द्धन तभी होगा, जब हम एक दर्शक के रूप में नहीं, बल्कि एक छात्र के रूप में यात्रा करें और उसे आत्मसात करने, समझने तथा अपनाने का प्रयास करें। यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है और मुझे भारत के 500 से अधिक जिलों का भ्रमण करने का अवसर मिला है। 450 से भी अधिक जिलों में मैंने रात्रि विश्राम भी किया है और अब जब मैं भारत में इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा हूं, यात्रा बहुत सुविधाजनक हो गई है और लाभदायक सिद्ध हो रही है। इससे मुझे चीजों को समझने में काफी मदद मिल रही है। मेरा आपसे अनुरोध है कि विविधता में एकता का अनुभव करें, यह केवल एक नारा ही नहीं, बल्कि व्यापक ऊर्जा का भंडार है। एक भारत, श्रेष्ठ भारत का सपना इसमें निहित है। देश में खाने की कितनी किस्में मौजूद हैं। अगर हम रोजाना एक नया व्यंजन खाएं, तो पूरी जिन्दगी उस किस्म के व्यंजन को दोबारा खाने की नौबत नहीं आएगी। यही पर्यटन की ताकत है। मेरा आपसे अनुरोध है कि इन छुट्टियों के दौरान आप केवल जगह परिवर्तन के लिए ही यात्रा न करें, बल्कि छुट्टियों में कुछ जानने, समझने और लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से यात्रा करें। भारत स्वयं आपके अंदर ही समाविष्ट है। देश के करोड़ों नागरिकों की विविधता का आपके अंदर समावेशन है। ये अनुभव ही हमारे जीवन को समृद्ध बनाएंगे। आपका दृष्टिकोण व्यापक होगा, जो अनुभव से भी अधिक एक बेहतर शिक्षक हो सकता है।
यह देश अनेक पर्यटन स्थलों, व्यंजनों, नृत्यों, संगीत, पोषाक, प्रथाओं से समृद्ध है और पर्यटन पर्व के तहत कोई भी व्यक्ति इन सब चीजों का आनंद उठा सकता है। पर्यटन की ताकत को तब अच्छी तरह देखा जा सकता है, जब हम राज्य सरकारों, केन्द्रीय मंत्रालयों, यात्रा संघों, संगठनों, स्कूलों और कॉलेज के छात्रों और आम जनता की किसी आयोजन में व्यापक भागीदारी को देखते है।
हवाई अड्डों को सजाया गया है। रेलवे स्टेशनों को त्यौहारी रूप दिया गया है और पर्यटन स्थल जगमगा रहे हैं। पर्यटन स्थलों को साफ-सुथरा बनाया जा रहा है। सेवा प्रदाताओं को पर्यटन के लाभ के बारे में जागरूक बनाया जा रहा है। युवा शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहन मिल रहा है। कार्याशालाएं और सेमीनार आयोजित किये जा रहे हैं। सांस्कृतिक संध्याएं पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं। विरासत और प्रकृति के सानिध्य की यात्राओं का आयोजन किया जा रहा है। पर्यटन पर्व के दौरान साहित्यिक गतिविधियों की प्रचुरता है। पर्यटन पर्व के 16वें दिन ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा एबॉक ग्रामीण कलस्टर में साइकिल ट्रैक का विकास, तीन किलोमीटर सड़क और फुटपॉथ का निर्माण, ऐतिहासिक स्थलों का सौन्दर्यकरण और ऐजल, मिजोरम में बागवानी अनुसंधान केन्द्र की स्थापना से संबंधित पर्यटन परियोजनाओं की शुरूआत की गई। ऐजल में आयोजित अन्य गतिविधियों में स्थानीय समुदाय के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम, बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम और इको ट्रेल शामिल हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश राज्य सरकार के साथ मिलकर ऐजल में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया। ईटानगर में ईटा किले को रोशनी से जगमग किया और टैक्सी चालकों के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया और नाहरलागुन में वेस्ट डिस्पोजल वितरित किये। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने नगालैंड राज्य सरकार के साथ मिलकर कोहिमा में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया। दुकानदारों, वेंडरों, रिक्शा और ऑटोरिक्शा चालकों के लिए आईएचएम, गुवाहाटी द्वारा बोराबारी में अतिथि देवो भव संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
पर्यटन मंत्रालय ने संस्कृति मंत्रालय और कर्नाटक राज्य सरकार के साथ मिलकर विरासत भ्रमण, पर्यटन प्रदर्शनी, हस्तशिल्प हथकरघा प्रदर्शनी, छात्रों के लिए प्रश्नोत्तरी, निबंध, चित्रकला प्रदर्शनियों जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया। हेम्पी स्थल की विद्युत जगमगाहट की गई और सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया।