जयपुर। राजपूत करणी सेना ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) पर चित्तौडग़ढ़ की रानी पद्मिनी के बारे में गलत चित्रण करने का आरोप लगाया है। सेना ने एएसआई द्वारा लाइट एण्ड साउण्ड शो के मार्फत पद्मिनी को शीशे में खिलजी को दिखाने की कहानी पर भी आपत्ति जताई है। वैसे भी फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की फि ल्म पद्मावती को लेकर पहले ही इस मामले में बड़ा विवाद हो चुका है। अब राजपूत करणी सेना ने एएसआई से मांग की है कि चित्तौडगढ के किले के पद्मिनी महल में लगे शीशों को हटाया जाए। करणी सेना का कहना है कि आक्रमणकारी मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी को शीशे के जरिए पद्मिनी को दिखाए जाने की कहानी पूरी तरह गलत और मिथ्या तथ्यों पर आधारित है। इतिहास में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। सेना पदाधिकारियों ने चित्तौडगढ किले की सैर कराने वाले गाइडों को भी चेताया है कि वे पर्यटकों को ऐसी कोई गलत इतिहास वाली कहानी न सुनाएं, अन्यथा परिणाम भुगतने पड़ेंगे। राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने मीडिया से कहा कि पद्मिनी का काल खण्ड 1303 ईस्वी का है, जबकि अलाउद्दीन खिलजी को शीशे में पद्मिनी का प्रतिबिम्ब दिखाए जाने की कहानी मलिक मोहम्म्द जायसी द्वारा रचित पद्मावत पर आधारित है। जायसी ने इसकी रचना 1540ईस्वी में की यानि घटना के 237 सालों के बाद में। इस बात का कोई ऐतिहासिक तथ्य नहीं है कि खिलजी को पद्मिनी का प्रतिबिम्ब कांच मेंं दिखाया गया है। महिपाल सिंह का आरोप है कि ऐसी गलत तथ्यों पर आधारित कहानी चित्तौडगढ किले में लगे शीशों को दिखा कर पर्यटकों को बताई जाती है। किले के लाइट एंड साउंड शो में भी यहीं कहानी सुनाई जा रही है, जो पूरी तरह गलत है। करणी सेना के पदाधिकारियों ने एएसआई और राज्य के पुरातत्व विभाग से मांग की है कि किले में लगे शीशे सात दिन में हटाया जाए और लाइट एण्ड साउंड शो की स्क्रिप्ट में से भी इसे हटाया जाए। ऐसा नहीं करने पर सेना गंभीर परिणाम के लिए चेताया है।

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