जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले उपचुनाव की तीन सीटों पर भाजपा की करारी हार क्या हुई कि सत्ता-संगठन को कार्यकर्ताओं व जनता की सुध लेने पर मजबूर कर दिया है। लोकसभा की दो और विधानसभा की एक सीट पर हार के बाद पार्टी और सरकार को हिला दिया है।

इस हार ने केन्द्रीय नेतृत्व को तो सकते में डाल दिया, साथ ही प्रदेश नेतृत्व को सोचने को मजबूर कर दिया कि प्रचण्ड बहुमत देने वाली जनता का मूड चार साल में इतना क्यों बदल गया। जनता के इस जनादेश को देख अब सत्ता-संगठन ने कार्यकर्ताओं की तो सुध लेना शुरु कर दिया है, साथ ही जनता व कार्यकर्ताओं को अच्छा मैसेज दिया जा सके, इसके लिए ताबडतोड बैठकों का दौर भी चल रहा है।

शुक्रवार को भाजपा मुख्यालय में जिला प्रमुखों और पंचायत समिति के प्रधानों की बैठक पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी.सतीश और संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर ने ली तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मंत्रिपरिषद की बैठक भी पार्टी कार्यालय में हुई।

हालांकि सीएम वसुंधरा राजे इसमें शामिल नहीं हुई। बताया जाता है कि मंत्रिपरिषद के कुछ सदस्यों के विभागों में फेरबदल हो सकता है और कुछ की मंत्री पद से छुट्टी हो सकती है। तीन सीटों पर हार के बाद से सत्ता संगठन में बिगड़ी सोशल इंजीनियरिंग को दुरुस्त किया जाएगा। इसके लिए नाराज चल रही जातियों के कद्दावर नेताओं को ना केवल मंत्री बनाया जाएगा, साथ ही उन्हें बड़े विभाग भी दिए जाएंगे। वहीं चार साल के राज में प्रभाव जमा नहीं पाए मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है।

दागी और सरकार को कठघरे में खड़े करने वाले मंत्रियों को सरकार व पार्टी बाहर का रास्ता दिखा सकती है। इसके लिए केन्द्रीय नेतृत्व ने भी हरी झंडी दे दी है। इसके बाद से पार्टी और सरकार के स्तर पर मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करवाया गया है।

इस रिपोर्ट कार्ड में कुछ ऐसे मंत्री है, जिनका ना तो क्षेत्र में प्रभाव पड़ा है और ना ही वे सोशल इंजीनियरिंग में फिट बैठ रहे हैं। अजमेर, अलवर लोकसभा सीट और मांडलगढ़ सीट में पार्टी प्रत्याशियों की हार के बाद इन तीन क्षेत्रों के मंत्रियों व पार्टी पदाधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना है। यहां के मंत्रियों को या तो बदला जा सकता है या इनकी छुट्टी हो सकती है।

यह भी बड़ी चर्चा है कि आज भाजपा मुख्यालय में हो रही बैठक में मंत्रियों के इस्तीफे लिए जा सकते हैं। एकाध दिन या नवरात्र में राजे मंत्रिमण्डल में नए चेहरे दिखाई दे सकते हैं।

यह भी संभावना है कि राजे मंत्रिमण्डल में कार्यकर्ताओं और जनता को मैसेज देने तथा नाराज जातियों को पार्टी के पक्ष में फिर से मोड़ने के लिए राजपूत, ब्राह्मण व वैश्य समुदाय के उपेक्षित विधायकों को मंत्री पद दिया जा सकता है। बड़े विभाग मिल सकते हैं। जिस तरह से चर्चाओं का दौर चल रहा है, उससे लग रहा है कि जल्द ही सत्ता-संगठन बड़ा फेरबदल दिखाई दे सकता है। इस फेरबदल में कईयों की छुट्टी होगी तो नए चेहरों की ताजपोशी होगी।

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