नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना को लेकर चर्चाओं में आए मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन आखिरकार शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हो गए। कोर्ट के समक्ष उन्होंने कहा कि उनका मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया हैै। ऐसे में उनका काम लौटाया जाए। इस दौरान कर्णन के तेवर कोर्ट में भी तीखे ही दिखे। कर्णन ने कहा कि मैं संवैधानिक पद पर हूं, पुलिस मेरे घर गई जैसे में आतंकी या असमाजिक तत्व हूं, मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा को आंच आई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि मानसिक संतुलन बिगडऩे की दशा में उन्हें मेडिकल प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। जिस पर कर्णन ने कहा कि इसकी जरुरत नहीं है। कोर्ट ने कर्णन से पूछा कि पूर्व में दिए गए बयान पर कायम रहते हुए कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगने, जिरह के लिए स्वयं या वकील पेश करने को क्या तैयार हैं? क्या पूर्व में दिए गए बयान नासमझी या भूलवश थे? इस पर एडवोकेट जनरल ने कहा कि इसमें नासमझी या भूल का सवाल ही नहीं पैदा होता। जस्टिस कर्णन भलीभांति जानते हैं कि वे क्या कह रहे हैं और कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को चार हफ्ते का समय देते हुए अपना जवाब दाखिल करने के आदेश दिए। इससे पहले भी उन्हें दो और मौके दिए गए थे, लेकिन वह पेश नहीं हो सके थे। अंतत: कोर्ट को उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी करना पड़ा। जिसके बाद वे कोर्ट के समक्ष पेश हुए।

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