– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान से आज से ‘जल जन अभियान’ की शुरुआत की
आबूरोड. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान से आज से ‘जल जन अभियान’ की शुरुआत की। वाटर हार्वेस्टिंग के साथ पेड़ लगाने और जल संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित करना इस मिशन का उद्देश्य है। मोदी ने आबूरोड (सिरोही) के ब्रह्मकुमारीज संस्थान में वर्चुअल कार्यक्रम से इसकी शुरुआत की। उन्होंने कहा कि यह मिशन ऐसे समय शुरू हो रहा है जब पानी कमी को लेकर दुनिया भारत को देख रही है। जल है तो कल है, इसके लिए हमें आज से ही सोचना है। मोदी ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक संस्थाओं की जल अभियान में बड़ी भूमिका है। बीते दशकों में हमारे यहां एक नकारात्मक सोच बन गई थी कि हम जल संरक्षण और पर्यावरण जैसे विषयों को मुश्किल मानकर छोड़ देते थे। यह सोचते थे कि यह काम नहीं किया जा सकता। बीते आठ साल में यह मानसिकता बदली है। उन्होंने कहा कि भारत के ऋषियों ने हजारों सालों से प्रकृति से मिलने वाली चीजों के संरक्षण का संदेश दिया है। इसलिए हम जल को देव की संज्ञा देते हैं. नदियों को मां मानते आए हैं। हमारी संस्कृति प्रकृति और इंसान के बीच मानवीयता का रिश्ता जोड़ती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल गंगा ही नहीं साफ हो रही है, सहायक नदियां भी स्वच्छ हो रही है। ‘नमामि गंगे’ अभियान देश के विभिन्न् राज्यों के लिए मॉडल बनकर उभर रहा है। गिरता भूजल स्तर पर भी चिंता का विषय है, इसलिए कैच द रेन मूवमेंट शुरू किया है। उन्होंने कहा कि देश की हजारों ग्राम पंचायतों में अटल भूजल योजना का काम किया जा रहा है। हमारे देश में जल जैसी जीवन की महत्वपूर्ण व्यवस्था महिलाओं के हाथ में रही है। जल जीवन मिशन में पानी समिति का नेतृत्व माताएं ही कर रही हैं। पीएम ने कहा कि बीते वर्षों में ब्रह्माकुमारी बहनों के स्नेही निमंत्रण मिले। मैं भी हमेशा आने की कोशिश करता है। मैं जब भी आपके बीच आता हूं आपका स्नेह, आपका अपनापन मुझे अभिभूत कर देता हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा हम दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली आबादी हैं। हम मानसून के सिर्फ 40-42 दिन बारिश के पानी पर सारा साल निर्भर होते हैं। हमारे देश में हर साल 2000 बिलियन क्यूसेक (56 लाख करोड) पानी बरसता है, लेकिन दो हजार बिलियन क्यूसेक पानी में से सिर्फ 300 बिलियन क्यूसेक (8.5 लाख करोड़) पानी ही रोक पा रहे हैं। हम धरती से पानी निकालने वाले सबसे बड़े देश हैं। हमारे बाद अमेरिका और चाइना आता है, लेकिन हम उन दोनों देशों के कुल उपयोग के डेढ़ गुना ज्यादा दोहन कर रहे हैं। हमने अपनी धरती के मौजूद जल का बीस फीसदी हिस्सा निकाल लिया है, अब वहां पानी नहीं है। भारत में ज्यादातर वाटर रिर्सोसेस प्रदूषित हो रहे है।

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