– राकेश कुमार शर्मा

जयपुर।  करीब एक दशक से लंबित जीएसटी बिल (गुड्स एण्ड सर्विसेज टैक्स) आखिरकार राज्यसभा से पारित हो गया। सभी 203 सदस्यों ने बिल का समर्थन किया। एक भी मत विरोध में नहीं गिरा। इस कराधान के प्रभावी होने के बाद पूरे देश में एक टैक्स सिस्टम लागू होगा और सारा भारत एक समान मार्केट में बदल जाएगा। इसे संसद में पारित कराने से पहले सभी दलों की सहमति बनाने की पूरी कोशिश की गई। उम्मीद की जाती है कि जीएसटी के लागू होने से पूरे देश में बड़ा बदलाव आएगा। आर्थिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि विकास दर आठ फीसदी को पार कर सकेगी। महंगाई पर लगाम लगेगी और समान टैक्स व्यवस्था होने से कंज्यूमर्स गुड्स सस्ते होंगे। आर्थिक तौर पर देश मजबूती से आगे बढ़ेगा। जीएसटी बिल का सबसे अहम मुद्दा यही है कि उसमें टैक्स की दर क्या रहेगी? हर वित्?त मंत्री राजस्?व को बढ़ाने के दबाव में रहता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अप्रत्?यक्ष कर अमीर और गरीब दोनों को प्रभावित करते हैं। ऊंची आय वाले देशों में अदा किए जाने वाले अप्रत्?यक्ष टैक्?स का औसत 16.4 फ ीसदी है, जबकि भारत जैसे विकासशील देशों में यह 14.1 फ ीसदी है। प्रत्?यक्ष कर का कलेक्?शन हमेशा अप्रत्?यक्ष कर के कलेक्?शन से अधिक होना चाहिए। जीएसटी बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि भारत के विकास में राज्यों को मिलकर काम करना होगा और जीएसटी के माध्यम से हम भारत को ‘एक समान बाजारÓ के रूप में पेश कर पाएंगे।  इसके बाद देश 29 अलग-अलग बाजारों से केवल एक बाजार में बदल जाएगा, जो हमारी ताकत होगा। हमारे बिल में आम आदमी द्वारा दिए जाने वाले टैक्स को सरल कर दिया गया है। भारत में टैक्स चोरी इसीलिए होती है, क्योंकि हमारी टैक्स व्यवस्था काफ ी जटिल है। राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले एक फ ीसदी अतिरिक्त कर को बिल में खत्म कर दिए जाने का मुआवज़ा केंद्र सरकार देगी। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जीएसटी बिल अप्रत्यक्ष करों को आसान बनाएगा। 5-7 टैक्स कानूनों की जगह 2 कानून लोगों की जिंदगी को आसान बनाएंगे। जीएसटी लागू होने के तुरंत बाद सेवा दरों में वृद्धि होगी लेकिन बाद में इनमें कमी की जाएगी। राजस्थान से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य नरेंद्र बुढानिया ने कहा,’मुझे इस बात की शिकायत है कि यह सरकार अब इस विधेयक पर समर्थन मांग रही है, जबकि कांग्रेस ने 4 साल पहले जब इसे पेश किया था तो वे विरोध कर रहे थे। सरकार कहती है कि जीएसटी बिल भारत की जीडीपी 1-2 अंक बढ़ा देगी तो फि र बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए इस बिल का समर्थन क्यों नहीं किया? अब देखना से राज्यसभा, लोकसभा और देश के पन्द्रह राज्यों से इसे पारित होने के बाद जीएसटी बिल देश की तस्वीर और तकदीर को कितना बदल पाएगी। हालांकि इसे लागू होने में करीब एक साल वक्त लगने की संभावनाएं जताई जा रही है। केन्द्र सरकार अप्रेल, 2017 तक इसे हर हाल में लागू करना चाहती है। यह भी उम्मीद जता रही है कि इससे देश में आर्थिक प्रगति को प्रोत्साहन मिलेगा। बाजार में जो मंदी का माहौल है, उसमें रफ्तार आएगी। साथ ही कई टैक्स समाप्त होने व एकरुपता होने से बाजार में सस्ताई की भी संभावना व्यक्त की जा रही है। केन्द्रीय वित्तमंत्री का मानना है कि इस बिल के लागू होने से जीडीपी में एक से दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। अर्थव्यवस्था के जानकार कहते हैं कि पहले कुछ वक्त में महंगाई भले ही दिखे, लेकिन बाद में बाजार सस्ता होगा, खासकर कंज्यूमर्स गुड्स। यह भी मानना है कि लंबी दौड़ में जीएसटी एक बड़ा कर सुधार कानून साबित होगा जो काले धन को काबू करने में मदद करेगा।

संविधान संशोधन से बिल होगा मंजूर

जीएसटी बिल को सरल और सीधी भाषा में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) बिल कहा जा रहा है। वास्तव में यह जीसएसटी बिल नहीं है बल्कि एक संविधान संशोधन बिल है, जो असल में जीएसटी बिल का रास्ता साफ  करेगा। चूंकि यह संविधान संशोधन कानून है इसलिए संसद से पास होने के बाद इस कानून को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से पास होना ज़रूरी है। इसके बाद ही केंद्र सरकार असल जीएसटी कानून को लागू करा पाएगा। इसका सीधा सा अर्थ  है कि इसके प्रभावी होने में और समय लगेगा। इस संविधान संशोधन बिल की मदद से केंद्र सरकार टैक्स से जुड़े कानूनों को बनाने के अधिकार को समवर्ती अधिकारों की सूची में ला रही है यानी केंद्र एक ऐसा कानून बना सकता है जिसे बनाने का अधिकार अब तक उसके पास नहीं था और राज्यों और केंद्र के बीच अधिकारों का बंटवारा था। उदाहरण के लिए सेल्स टैक्स की दर जिसे तय करना राज्य सरकार का अधिकार है। अब केंद्र सरकार उसे तय करेगी।  क्योंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है। इसलिए सरकार को सदन में कम से कम दो तिहाई बहुमत चाहिए। बहुमत का यह आंकड़ा सदन में सांसदों की कुल संख्या के आधे से कम नहीं होना चाहिए। इसका एक अर्थ यह भी है कि बिल के पास होते वक्त सदन में कोई हंगामा या शोर-शराबा की स्थिति न हो। जीएसटी कानून लागू होने से राज्यों और केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले कई अप्रत्यक्ष टैक्स खत्म हो जाएंगे और करों में एक समानता रहेगी। अभी तमाम टैक्सों की वजह से किसी भी उत्पाद पर कुल 25 प्रतिशत तक टैक्स देना पड़ता है, लेकिन अब जीएसटी आने के बाद प्रभावी टैक्स को 18-22 फीसदी तक सीमित करने की बात है। कांग्रेस की प्रमुख मांग है कि जीएसटी की दर को 18फीसदी पर सीमित किया जाए। औद्योगिक रूप से विकसित तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को जीएसटी बिल के पास होने के बाद घाटा उठाना पड़ेगा जिसकी भरपाई के लिए फि लहाल केंद्र ने भरोसा दिया है।  जीएसटी बिल के पास होने से हाइवे पर दिखने वाली तमाम चुंगियां खत्म हो जाएंगी, लेकिन इससे महंगाई भी बढ़ेगी। इसलिए टैक्स के ढांचे में यह क्रांतिकारी बदलाव राजनीतिक रूप से मोदी सरकार के लिए परीक्षा भी है। खासकर अगले साल होने वाले पंजाब, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे महत्वपूर्ण चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार के लिए महंगाई एक बड़ा सिरदर्द रहेगा। इसी मुश्किल को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार ने अभी पेट्रोलियम पदार्थो को इस बिल से बाहर किया है ताकि महंगाई पर काबू रखा जा सके। इस कानून में सबसे बड़ी अड़चन उत्पादन करने वाले राज्यों को होने वाला नुकसान रहा है। राज्यों को मनाने के लिए ही सरकार ने पेट्रोल-डीजल के साथ शराब, जिससे काफ ी राजस्व इक_ा होता है को भी इस बिल की परिधि से फि लहाल बाहर रखा है। राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी बिल में प्रावधान लाया गया है। जीएसटी कानून बनने की प्रक्रिया को इस स्थिति तक पहुंचने में करीब 10 साल लगे हैं।

क्या रहेगा सस्ता और क्या महंगा

जीएसटी लागू होने के बाद इससे अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा। रोजमर्रा की कुछ चीजें सस्ती होंगी, तो कुछ महंगी। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे सामान सस्ते हो सकते हैं, वहीं रेडीमेड गारमेंट और सर्विस टैक्स के दायरे में आने वाली सेवाएं महंगी हो जाएंगी। कंज्यूमर गुड्स पर जीएसटी का लाभ यह होगा कि टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन और एसी जैसे प्रोडक्ट्स पर केंद्र और राज्य सरकारें काफ ी टैक्स वसूलती हैं। उदाहरण के लिए 30,000 की कीमत पर बिकने वाली एसी की असल कीमत 23,000 से 24,000 के आसपास होती है। इसमें बाकी का 6,000 से 7,000 रुपए टैक्स का हिस्सा होता है। फ्रिज, वाशिंग मशीन, एसी जैसे सामानों पर लगने वाला टैक्स औसतन 25 से 28 फीसदी तक होता है। जीएसटी लागू होने के बाद इनकी कीमतें घट सकती हैं। अनुमान है कि ‘जीएसटी रेट 17 से 20 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है। ऐसे में जाहिर है, इन पर लगने वाला टैक्स कम होगा और ये वस्तुएं सस्ती होंगी। रेडिमेड गारमेंट सेक्टर पर जीएसटी का असर बिल्कुल अलग होगा। अभी देश में गारमेंट पर एक्साइज ड्यूटी नहीं लगाई जाती है। इसकी वजह से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की तरह गारमेंट्स पर टैक्स का बोझ कम होता है। गारमेंट्स पर स्थानीय स्तर पर जो टैक्स लगाया जाता है वो 10 से 12 फीसदी होता है। ऐसे में जीएसटी लागू होने के बाद गारमेंट पर टैक्स बढ़ेगा और वे महंगे हो सकते हैं। जीएसटी का असर सर्विस टैक्स के दायरे में आने वाले सेवाओं पर भी पड़ सकता है। अभी होटल, रेस्टारेंट से लेकर दूसरी कई सेवाओं पर 15फीसदी सर्विस टैक्स लगता है। जीएसटी में सर्विस दरें बढ़ी तो ये सभी सेवाएं महंगी होंगी। हालांकि  पेट्रोलियम पदार्थ और शराब जीएसटी दायरे से बाहर रखी गई है। दरअसल जीएसटी रेट हर उस प्रोडक्ट जिस पर टैक्स लगता है, उसके रेट को प्रभावित कर सकता है। प्रस्तावित कानून में जीएसटी रेट तय करने का अधिकार जीएसटी काउंसिल को दिया गया है, जिसमें केंद्र और राज्यों की सहमति से इसे तय करने की बात कही गई है। फि लहाल पांच पेट्रोलियम पदार्थों और शराब को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। क्योंकि इन दोनों से राज्यों को सबसे ज्यादा कमाई होती है और वे इस अधिकार को फि लहाल छोडऩे को तैयार नहीं हैं।

LEAVE A REPLY