sachin pilot
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– राकेश कुमार शर्मा

जयपुर। कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के लिए राजस्थान में खतरे कम नहीं हो रहे हैं। संगठन में उनकी बढ़ती पैठ को देखते हुए दिग्गजों ने उनके खिलाफ लामबन्दी और  तेज कर दी है। बाहरी तौर पर ये नेता पायलट के साथ भले ही दिखें लेकिन,अन्दरूनी तौर पर उनकी नाराजगी अभी तक बरकरार है। संगठन में दिग्गजों के सहयोग के मुद्दे पर सचिन पायलट पूरी तरह अकेले पड़ रहे है। इस तरह की गुटबाजी को लेकर मिले फीडबैक के आधार पर कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव गुरूदास कामत को राजस्थान में कांग्रेस नेताओं की एकजुटता के लिए वरिष्ठ नेताओं को एक मंच पर लाने के निर्देश दिए हैं। इसी के चलते 26 जुलाई को कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय पर दिग्गज नेताओं की बैठक शिकवे दूर कर एकजुटता के मकसद से बुलाई गई। फिलहाल इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला।

प्रदेश में कांग्रेस की कमान सचिन पायलट को सौंपे जाने से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी है। इस पद के लिए प्रदेश के कई दिग्गज दावेदार थे लेकिन, कांग्रेस आलाकमान ने पायलट की दिल्ली में अच्छी लॉबिंग के कारण वरिष्ठता को दरकिनार कर उन्हें कमान सौंप दी थी। लोकसभा चुनाव, नगर निकाय और पंचायत चुनावों में कांग्रेस पायलट के नेतृत्व में कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई। इसकी वजह मोदी लहर के साथ-साथ संगठन में अन्दरूनी कलह भी रही है। इस कलह को पिछले दिनों एक बैठक के दौरान एक वरिष्ठ नेता ने पायलट के समर्थन में यानि उन्हें मुख्यमंत्री का दावेदार बताते हुए हाथ खड़े करवाकर और बढ़ा दिया। इस घटना के बाद कांग्रेस में गुटबाजी और बढ़ गई। इस बैठक में भी इस गुटबाजी का असर दिखाई दिया। बैठक की यह तारीख कई दिन पहले तय करते हुए करीब दो दर्जन नेताओं को बैठक में अनिवार्य रूप से मौजूद रहने के निर्देश दिए गए थें। इसके बावजूद आधा दर्जन नेता किसी ने किसी बहाने इस बैठक में शामिल नहीं हुए। बैठक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की अध्यक्षता में हुई तथा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुरूदास कामत, सह प्रभारी मिर्जा इरशाद बेग, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जगन्नाथ पहाडिया समेत कई नेता शामिल हुए जबकि एआईसीसी के महासचिव सीपी जोशी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह, एआईसीसी सचिव हरीश चौधरी, मोहन प्रकाश आदि गैर मौजूद थे। सीपी जोशी के अरूणाचल प्रदेश में किसी कार्यक्रम में शामिल होना तो हरीश चौधरी का पंजाब चुनाव की तैयारियों को लेकर आयोजित बैठक में व्यस्तता उनकी गैर मौजूदगी की वजह बताई जा रही है।

बैठक में मौजूद नेताओं  से कामत ने अन्य मुद्दों के साथ सचिन पायलट का सहयोग नहीं करने की वजह भी जाननी चाही। उन्होंने इस संबंध में कुछ नेताओं से सवाल जवाब भी किए। आधिकारिक तौर पर सबने पायलट को सहयोग देने की बात कही। जबकि इस बैठक के बाद पायलट विरोधी गतिविधियां और तेज होने की जानकारी मिल रही है। कामत ने दिल्ली आला कमान को भी अपना फीड बैक सौंप दिया है जिसके चलते इन दिग्गज नेताओं की जल्द ही दिल्ली में पेशी होने की संभावना जताई जा रही है। उधर, पायलट विरोधी इस मुहिम में कई दिग्गजों ने अपने पुराने गले-शिकवे भी भुला दिए है और उनकी आगामी रणनीति इस मुद्दे पर दिल्ली में अपना दवाब बनाना है। दरअसल असल लड़ाई मुख्यमंत्री पद के लिए है। कई दिग्गज नहीं चाहते है कि कांग्रेस की ओर से अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का दावेदार सचिन पायलट को बनाया जाए। इसलिए विरोधी खेमे में ये सारी एकजुटता नजर आ रही है। पायलट की स्थिति यह हो रही है कि उन्हें दिग्गजों पर नियंत्रण के लिए कई दिशा-निर्देश दिल्ली से जारी करवाने पड़ रहे है। ताकि वरिष्ठ नेताओं से भी उन पर अमल करवाया जा सके। नाराजगी की एक अन्य वजह पायलट टीम में जगह नहीं मिलना भी है। कई दिग्गज नेताओं के समर्थक माने जाने वाले पदाधिकारियों का कद संगठन में छोटा कर दिया गया या फिर उन्हें निष्क्रियता के बहाने हटा दिया गया था। ऐसे लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई लो उसके काबिल नहीं थे। इन तमाम स्थितियों के चलते कांग्रेस में गुटबाजी लगातार बढ़ रही है।

यही हाल रहा तो होगा नुकसान

कांग्रेस में इस अन्दरूनी कलह को दूर नहीं किया तो इसका खमियाजा आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है। जानकार सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में करीब ढाई साल पहले आए पायलट अभी तक कार्यकर्ताओं पर अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर पाए है। उन्हें पार्टी में कॉरपोरेट अध्यक्ष के तौर पर प्रचारित करने का मकसद भी यही है कि कार्यकर्ताओं से उनकी दूरी बनी रहे। हालांकि पायलट ने इस मिथक को तोडऩे के लिए प्रदेश का दौरा भी कर रहे है। इस दौरान वे कार्यकर्ताओं से फीडबैक भी जुटा रहे है। ताकि उनका समर्थन हासिल किया जा सके। इस बैठक के बाद एक महत्वपूर्ण परिपत्र सचिन पायलट की ओर से सभी जिला अध्यक्षों और अग्रिम संगठनों के अध्यक्षों को जारी किया है। इस परिपत्र के अनुसार, स्थानी मुद्दों पर होने वाली बैठकों में कांग्रेस शहरी निकाय और पंचायत स्तर पर जीते हुए जनप्रतिनिधियों, हारे हुए प्रत्याशियों और पूर्व महापौर, अध्यक्ष, सभापतियों तथा जिला प्रमुखों को अनिवार्य तौर पर बुलाने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके पीछे मकसद इन पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना एवं स्थानीय मुद्दों पर पार्टी की पकड़ बनाना है।

सड़कों पर उतरेगी कांग्रेस

अब तक बयानबाजी कर सरकार पर निशाना साध रही कांग्रेस अब सड़कों पर भी उतरेगी। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस इसे अपनी आगामी रणनीति का हिस्सा बना रही है। अब तक विभिन्न मुद्दों पर बयान जारी कर अपना विरोध दर्ज करा रही थी। लेकिन, हाल में कुछ मुद्दों पर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री निवास पर प्रदर्शन कर अपने तीखे तेवर दिखाए है। इसे आने वाले दिनों में और तेज किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में जल्द ही संभाग और जिलेवार बैठकें आयोजित कर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को पार्टी की आगामी रणनीति की जानकारी दी जाएगी। बूथ लेवल कार्यकर्ता सम्मेलन भी आगामी दिनों में आयोजित किए जाने की तैयारी है। विधानसभा के मानसून सत्र में भी कांग्रेस भ्रष्टाचार और महंगाई के मुद्दे पर सरकार का घेरने की तैयारी कर रही है। इसके लिए विधायकों को जरूरी तैयारियां करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

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