नई दिल्ली। जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव को पार्टी बाहर का रास्ता दिखा सकती है। इसके साथ ही उनकी राज्यसभा की कुर्सी भी जाने का खतरा हो गया है। बिहार में जब से जेडीयू-बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार बनी है, तब से शरद यादव इससे नाराज चल रहे हैं। जेडीयू राज्यसभा में यादव को पाटीज़् के नेता पद से हटाने पर भी विचार कर रही है। फिलहाल राज्यसभा में पार्टी के 10 सांसद हैं। बताया जा रहा है कि राज्य में भाजपा के साथ सरकार बनाने और महागठबंधन का साथ छोडऩे से शरद यादव सीएम नीतीश कुमार से काफी नाराज चल रहे हैं। शरद यादव को जेडीयू के किसी भी विधायक या फिर सांसद का साथ नहीं मिला है। वो फिलहाल पार्टी के अंदर पूरी तरह से अकेले पड़ गए हैं। फिलहाल यादव आज से पूरे बिहार का दौरा करने जा रहे हैं, जिसमें वो अगले तीन दिनों तक सात जिलों में लोगों से संवाद करेंगे। इस दौरान शरद यादव पार्टी कार्यकतार्ओं का मिजाज भांपने की कोशिश करेंगे।

कभी नीतीश कुमार के साथ हर लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले जेडीयू नेता शरद यादव अब उन्हें छोड़कर अपनी राह अलग करने की तैयारी कर चुके हैं। नीतीश के लालू को छोड़कर भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बाद से ही नाराज चल रहे शरद यादव ने अब पूरी तरह बगावती रुख अख्तियार कर लिया है। नीतीश के फैसले के खिलाफ श् ारद यादव ने अब बिहार के सात जिलों में जनसंवाद यात्रा निकालने की घोषणा कर दी है। दूसरी ओर नीतीश कुमार भी अब किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं हैं, इसका अंदाजा उस समय लगा जब उन्होंने शरद के करीबी और प्रदेश प्रभारी अरुण श्रीवास्तव को बर्खास्त कर दिया। हालांकि अरुण पर आरोप तो गुजरात राज्यसभा चुनावों में पार्टी लाइन से अलग चलने का था लेकिन साफ इशारा शरद यादव के लिए ही था। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि कभी एक दूसरे की बाहें पकड़कर और हर फैसले में एक दूसरे के साथ खड़े रहने वाले नीतीश और शरद ने अपनी राहें जुदा करने का फैसला कर लिया। क्या मामला सिर्फ आपसी विश्वास खत्म होने का है या कुछ और, आइए डालते हैं उन्हीं कारणों पर एक निगाह।

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