Why not give reservation to ADAJ recruitment in 2016: High Court

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने दाम्पत्य संबंधों की पुनस्र्थापना से जुडे मामले में निचली अदालत की ओर से दिए आदेश को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि इस संबंध में ऐसा कोई नोटिफिकेशन या आदेश पेश नहीं हुआ है, जिससे यह साबित हो की एसटी वर्ग पर हिन्दु विवाह अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं। अदालत ने कहा कि ये अपनी प्रथा और परम्परा से शासित होते हैं।

न्यायाधीश बनवारीलाल शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश रामलाल मीना की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में अधिवक्ता प्रवीण बलवदा व मोहित बलवदा ने बताया कि डीजे टोंक ने 21 अप्रैलए 1998 को प्रेम बाई के प्रार्थना पत्र को मंजूर करते हुए हिन्दु विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ दाम्पत्य संबंधों की बहाली के लिए आदेश पारित किया।

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता व प्रेम बाई दोनों ही एसटी वर्ग से आते हैं। जबकि एसटी वर्ग पर हिन्दु विवाह अनिधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते। ऐसे में निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है।

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