जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सरपंच का चुनाव रद्द करने के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि आखातीज पर प्रदेश पर बडी संख्या में बाल विवाह होते हैं। हाईकोर्ट बाल विवाह पर आंखे नहीं मूंद सकता। इसके साथ ही अदालत ने अपीलार्थी सरपंच की ओर से अपनी लडकियों का बाल विवाह करने पर नाराजगी जताई है।

अदालत ने कहा कि क्यों न उनके खिलाफ बाल विवाह करने और उनके दामादों के खिलाफ दुष्कर्म का मामला चलाया जाए। हालांकि अदालत ने याचिका वापस लेने की गुहार करने पर अपील खारिज कर दी। न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश इन्द्रजीतसिंह की खंडपीठ ने यह आदेश घिसी मीणा की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए दिए।

मामले के अनुसार चाकसू के गिरधारीपुरा की सरपंच घिसी मीणा के खिलाफ निचली अदालत में चुनाव याचिका पेश हुई थी। जिसमें सुनवाई करते हुए निचली अदालत ने घिसी मीणा के चुनाव को रद्द कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने भी याचिका खारिज कर दी। इस पर मामला खंडपीठ पहुंचा। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए देखा कि अपीलार्थी की ओर से निचली अदालत में पेश दस्तावेजों में उसकी दो बेटियों का जन्म 1985 और 1987 बताया गया था। वहीं अदालत के सामने यह भी आया कि दोनों का विवाह 1997 में कर दिया गया। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्यों न उसने खिलाफ प्रसंज्ञान लिया जाए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत दोनों दामादों पर दुष्कर्म का मामला चलाया जाए। आखिर में अपीलार्थी की ओर से अपील वापस लेने की गुहार करने पर अदालत ने अपील खारिज कर दी।

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