High Court

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज आम आदमी पार्टी की सरकार से कहा कि दक्षिण पश्चिम दिल्ली के कापसहेड़ा इलाके के सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन करने के लिए कदम उठाए जाएं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने सरकार से कहा कि छह वर्ष से 14 वर्ष के बीच के बच्चों के स्कूल नहीं जाने की संभावना को न्यून किया जाए और इस उद्देश्य के लिए शिविर लगाए जाएं। अदालत ने कहा कि 18 वर्ष की उम्र तक के दिव्यांग बच्चों के भी सरकारी स्कूलों में नामांकन कराने का लक्ष्य रखा जाए। अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कापसहेड़ा इलाके के बच्चों को सरकारी स्कूलों में नामांकन देने से इंकार किए जाने का आरोप लगाया गया है।

याचिका में दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार की स्कूलों ने इस आधार पर बच्चों को बाहर रखा है कि उनके पास आवास प्रमाण पत्र, मूल स्थानांतरण प्रमाण पत्र और रिपोर्ट कार्ड नहीं हैं। कुछ अन्य कारणों में बैंक खाता नहीं होना और उम्र संबंधी समस्याएं भी हैं। एक अन्य बहाना किया गया कि नामांकन की अंतिम तिथि 31 जुलाई थी।’’ 35 पीड़ित अभिभावकों के समूह ने वकील अशोक अग्रवाल के माध्यम से याचिका दायर कर दावा किया कि छह से 14 वर्ष के बीच के बच्चों को उनके घर के पास दिल्ली सरकार के स्कूलों में नामांकन नहीं दिया गया जो बच्चों के नि:शुल्क और आवश्यक शिक्षा अधिनियम 2009 के प्रावधानों का घोर उल्लंघन है।

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