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जयपुर। पति-पत्नी के विवादों के बीच दम्पति के 1० साल के बच्चे सत्यम खंडेलवाल ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रति-दिन पिता मनोज खंडेलवाल को उसके साथ 8 घंटे बिताने के आदेश देने की गुहार की। लेकिन इस संबंध में कोई कानूनी प्रावधान नहीं होने के आधार पर न्यायाधीश अजय रस्तोगी और न्यायाधीश दीपक माहेश्वरी की खंडपीठ ने बच्चे की खारिज कर आदेश में कहा कि इस मांग को देखते हुए विधायिका को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 में संशोधन के लिए कदम उठाना चाहिए। 1० साल के बच्चे को अपने पिता से लाड-प्यार पाने का अधिकार है। समाज की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इसे औचित्यहीन भी नहीं कहा जा सकता। पति-पत्नी के बीच वैचारिक मतभेद या मनमुटाव के कारण वैवाहिक विवाद भले ही पैदा हो रहे हों, लेकिन इसकी सीधी हानि ऐसे मासूमों को झेलनी पड़ती है, जिनकी इस लडाई-झगडे के विवाद में कोई भूमिका नहीं रहती।

सत्यम ने मां राजकुमारी के जरिए याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि माता-पिता का विवाह 11 फरवरी, 2००5 को हुआ था। 16 दिसंबर, 2००6 को उसका जन्म हुआ। बाद में दोनों अलग हो गए और फैमिली कोर्ट ने इसी साल 16 मई को पिता की तलाक याचिका स्वीकार कर ली। सत्यम ने पहले ऐसी प्रार्थना फैमिली कोर्ट से की, लेकिन सुनवाई का प्रारंभिक क्षेत्राधिकार नहीं मान कर 24 जून को खारिज कर दिया।

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