Why not give reservation to ADAJ recruitment in 2016: High Court

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार 12 वर्षीय बच्चे को बड़ी राहत दिलाई है। अदालत में दूदू पंचायत समिति के बीडीओ को निर्देश दिए हैं कि वह प्रसार अधिकारी के तौर पर वहां काम कर रहे याचिकाकर्ता के पिता के वेतन का 50 फीसदी हिस्सा काटकर हर माह सीधे बच्चे के खाते में जमा कराएं। अदालत ने बच्चे के इलाज और देखभाल के लिए इस राशि को याचिकाकर्ता की मां को खाते से निकालने की अनुमति दी है। इसके साथ ही अदालत ने आदेश की कॉपी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजते हुए कहा है कि वह मामले का परीक्षण करे और याचिकाकर्ता को यथासंभव सहायता मुहैया कराए।

न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश 14 वर्षीय धू्रव जोशी के अपनी मां अनिता जोशी के जरिए दायर याचिका का निस्तारण करते हुए दिए। विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से याचिकाकर्ता को मुहैया कराई गई अधिवक्ता शालिनी श्योराण ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता फ्रेजाइल एक्स बीमारी से ग्रसित है। याचिकाकर्ता के पिता सरकारी सेवक हैं, लेकिन उन्हें साथ नहीं रखते हैं। मानसिक रूप से बीमार होने के चलते याचिकाकर्ता को विशेष शिक्षा और देखभाल की जरूरत है, लेकिन उनके पास आय का साधन नहीं है। जबकि मेडिकल और शिक्षा के लिए मासिक करीब दस हजार रुपए का खर्चा होता है। याचिका में गुहार की गई कि उसके पिता को निर्देश दिए जाए कि वह उसकी मेडिकल सुविधा और आवास के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी का वहन करें।
जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पिता के वेतन का 50 फीसदी हिस्सा याचिकाकर्ता को देने के आदेश दिए हैं।

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