Supreme Court

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि दहेज के लिए विवाहित महिला के साथ क्रूरता को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में पुलिस के लिए दिशानिर्देश तय करने की कोई मंशा नहीं है क्योंकि यह प्रक्रिया वैधानिक प्रावधानों द्वारा संचालित होती है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दहेज उत्पीड़न मामलों की प्रक्रिया को लेकर दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिशानिर्देश तय करने पर असहमति जताई और कहा कि वह अगले वर्ष जनवरी के तीसरे सप्ताह में इस मामले में सुनवाई करेगी।

पीठ ने कहा, ‘‘हम यह फैसला करने वाले कौन होते हैं कि पुलिस भादंसं की धारा 498 ए :महिला के पति या कोई रिश्तेदार द्वारा उसके साथ क्रूरता: के तहत प्राथमिकी दर्ज कैसे करेगी। धारा 498 ए के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में कोई दिशानिर्देश नहीं हो सकते और यह भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार होना चाहिए।’’ पीठ ने कहा, ‘‘धारा 498 ए कानून में है और कानून अपना काम करेगा। हमारी कोई दिशानिर्देश तय करने की मंशा नहीं है।’’ शीर्ष अदालत एनजीओ ‘सोशल एक्शन फोरम’ और ‘न्यायाधार’ द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि इन दिशानिर्देशों ने इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने में अड़चनें पैदा की हैं और दंडात्मक प्रावधान को कानून के अनुसार संचालित होने देना चाहिए।

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