नई दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई ने मंगलवार को मोबाइल इंटरक्नेक्शन उपयोग शुल्क (आइयूसी) को 14 पैसे से घटाकर छह पैसे प्रति मिनट कर दिया। मोबाइल कंपनियां अगर इस कटौती का फायदा ग्राहकों को देती हैं तो काॅल दरें घटने की राह खुल सकती है। संभावना है कि कस्टमर के लिए अक्तूबर तक कॉल दरें अधिकतम 60 प्रतिशत तक कम हो सकती हैं, वहीं मोबाइल ऑपरेटरों के पास पैसे का संकट होने की स्थिति में भविष्य में उन्हें बेहतर कस्टमर सर्विस उपलब्ध करवाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। नियामक के इस कदम का फायदा नयी कंपनी रिलायंस जियो को मिलने की उम्मीद है। बुधवार को सुबह जब शेयर बाजार खुला तो वह रिलायंस इंडस्ट्री के शेयर ने चार प्रतिशत के उछाल के साथ शुुरुआत की। ट्राई के इस नये नियम से भारती एयरटेल, आइडिया, आर कॉम एवं वोडाफोन जैसी पहले से जमे मोबाइल ऑपरेटरों के सामने चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है। क्योंकि पहले से सेवा में होने के कारण अभी नये ऑपरेटरों से कॉल ट्रांसफर होकर उनके नेटवर्क पर जाता है, जिससे उन्हें अच्छी कमायी होती है।
मोबाइल कंपनियों के संगठन सीओएआइ ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है कि इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि आइयूसी वह शुल्क होता है जो कोई दूरसंचार कंपनी अपने नेटवर्क से दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर मोबाइल कॉल के लिए दूसरी कंपनी को देती है। ट्राई ने कहा है कि छह पैसे प्रति मिनट का नया काल टर्मिनेशन शुल्क एक अक्तूबर 2017 से प्रभावी होगा और एक जनवरी 2020 से इसे पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।
नियामक ने अपने बयान में कहा है कि उसने यह फैसला भागीदारों से मिली राय के आधार पर किया है. सीओएआइ के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, यह अनर्थकारी कदम है। ज्यादातर सदस्य कंपनियों ने संकेत दिया है कि वे संभवत इस मामले में राहत के लिए अदालत की राह लेंगी। वहीं, ट्राई के पूर्व चेयरमैन राहुल खुल्लर ने भी मैथ्यूज के विचारों से सहमति जतायी है। उन्होंने कहा, अगर आप टर्मिनेशन शुल्क घटाएंगे तो मुख्य लाभान्वित जियो होगी क्योंकि वही अन्य नेटवर्क पर भारी ट्रेफिक बोझ डाल रही है। उल्लेखनीय है कि आईयूसी को लेकर हाल ही में खासा विवाद रहा है और इसमें कटौती का ट्राई का आज का फैसला भारती एयरटेल जैसी प्रमुख दूरसंचार कंपनियों के रुख के विपरीत है जो कि इसमें बढोतरी की मांग कर रही थी। भारती एयरटेल इस मुद्दे पर आइयूसी शुल्क को कम करने की मांग करने वाली रिलायंस जियो के साथ विवाद में भी फंसी है।
एक अन्य कदम में नियामक ने दूरसंचार क्षेत्र में व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए एक परामर्श पत्र आज जारी किया है। इस परिपत्र में समयबद्ध मंजूरियों, शुल्कों को युक्तिसंगत बनाए जाने व श्रेणीबद्ध जुर्माने का प्रस्ताव है। रिलायंस जियो के आगाज के साथ फ्री वॉयस कॉल की बात जोर पकड़ने लगी और डेटा यूजेज टेलीकॉम इंडस्ट्री में प्राथमिक चीज बन गयी। जियो के आने के बाद कई मोबाइल ऑपरेटर ऐसे ऑफर लेकर आये जिसके तहत ग्राहक एक निश्चित राशि का भुगतान कर महीने भर या एक निश्चित तारीख तक किसी भी नेटवर्क पर बिना किसी शुल्क के जितना चाहे बात कर सकता है। यह फ्री वॉयस कॉल की दिशा में ही एक कदम है। अब आइयूसी रेट कम होने से इसकी संभावना और मजबूत होगी और 2020 तक यह पूरी तरह खत्म हो जायेगा, ऐसे में मोबाइल डेटा व दूसरे श्रोतों से आय बढ़ाने पर मोबाइल कंपनियों को फोकस करना होगा, मोबाइल ऑपरेटरों को वॉयस कॉल व डेटा यूजेस के अलावा कई दूसरे नये आय के विकल्प खोलने होंगे।
भारत के मोबाइल इंडस्ट्री में नये प्रयोग करने वाले माइक्रोमैक्स के पूर्व चेयरमैन संजय कपूर ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में इस फैसले को टेलीकॉप इंडस्ट्री के लिए दर्द देने वाला बताया है। उन्होंने कहा है कि इससे पुरानी कंपनियों को नुकसान होगा। वे पहले से दबाव में हैं। उन्होंने कहा कि जियो पहले से ट्राई के इस फैसले के समर्थन में है, क्योंकि उसका कॉल दूसरे नेटवर्क पर अधिक ट्रांसफर होता है, लेकिन पुरानी कंपनियों को क्षति होगी. उन्होंने कहा है कि वॉयस कॉल तो अभी लगभग फ्री ही है। अब ट्राई के नये नियम से उनके पास पैसे कम होंगे और वे कस्टमर एक्सपीरियंस नहीं बढ़ा पायेंगे।
उल्लेखनीय है कि आई.यू.सी. को लेकर हाल ही में खासा विवाद रहा है और इसमें कटौती का ट्राई का आज का फैसला भारती एयरटैल जैसी प्रमुख दूरसंचार कम्पनियों के रुख के विपरीत है जोकि इसमें बढ़ौतरी की मांग कर रही थीं। एक अन्य कदम में नियामक ने दूरसंचार क्षेत्र में व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए एक परामर्श पत्र आज जारी किया है। इस परिपत्र में समयबद्ध मंजूरियों, शुल्कों को युक्ति संगत बनाए जाने व श्रेणीबद्ध जुर्माने का प्रस्ताव है।
प्रमुख दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारती एयरटेल और वोडाफोन ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के कॉल कनेक्ट शुल्क में कटौती के फैसले की आलोचना की है। इन दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि ट्राई के इस फैसले से सिर्फ एक आपरेटर को फायदा होगा और पहले से दबाव झेल रहे उद्योग की वित्तीय सेहत और खराब होगी। ग्राहकों की संख्या के हिसाब से देश की दूसरी सबसे बड़ी आॅपरेटर वोडाफोन ने ट्राई के निर्णय को प्रतिगामी नियामकीय उपाय करार दिया है। मौजूदा आपरेटर ने बयान में कहा कि इस कदम से सिर्फ नए खिलाड़ी को फायदा होगा और शेष उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा। एयरटेल ने कहा, जिस आइयूसी दर का सुझाव दिया गया है, उस पर पूरी तरह गैर पारदर्शी तरीके से पहुंचा गया है। इससे सिर्फ एक आपरेटर को फायदा होगा जिसके पक्ष में भारी ट्रैफिक है। नए नियमनों पर निराशा जताते हुए एयरटेल ने कहा कि उद्योग पहले से वित्तीय दबाव झेल रहा है और इंटरकनेक्शन प्रयोग शुल्कों (आईयूसी) में कटौती से स्थिति और खराब होगी। दूरसंचार नियामक ने कल मोबाइल कॉल कनेक्शन शुल्क को घटाकर छह पैसे प्रति मिनट करने की घोषणा की है। साथ ही एक जनवरी 2020 से ये शुल्क पूरी तरह समाप्त करने की घोषणा की गयी है। माना जा रहा है कि इस कदम से नयी कंपनी रिलायंस जियो को फायदा होगा और स्थापित खिलाड़ियों को झटका लगेगा। एयरटेल ने कहा कि उद्योग के रूप में हमारा देश की आर्थिक वृद्धि में उल्लेखनीय योगदान है। हम इस फैसले से निराश हैं।