जयपुर। पुरूषों में फेफडे, मुख, गले के कैंसर और महिलाओं में गर्भाषय व स्तन कैंसर के रोगी देष में तेजी से बढ रहे है। इन सभी रोगों के उपचार में रेडिएषन थैरेपी चिकित्सा पद्वती महत्वपूर्ण है। इस थैरेपी की सभी नविनतम तकनिकों पर विषेषज्ञों द्वारा मंथन ”बिमकॉन-टप् एंड राज-एरोइकॉन“ में किया गया। एसोसिएषन ऑफ रेडिएषन ऑन्कोलॉजी ऑफ इंडिया के राजस्थान चैप्टर और भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर जयपुर की ओर से एंटरटेनमेंट पेराडाइज में चल रही इस कॉन्फ्रेंस का समापन रविवार को हुआ। कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन पहले सत्र में मुंबई की डॉ शर्मिला अग्रवाल ने बताया बताया कि किस तरह से किसी भी महिला के बाए स्तन में कैंसर की गांठ के उपचार के दौरान उसके महिला के हद्य को रेडिएषन की किरणों से बचाया जा सकता है।

कॉन्फ्रेंस की आयोजक सचिव डॉ निधी पाटनी ने बताया कि आईजीआरटी, वीमेट, रेपिड आर्क, एसआरएस, एसआरटी और प्रोटोन थैरेपी के जरिए एडवांस स्टेज के कैंसर को भी ठीक किया जा सकता है। कॉन्फ्रेंस के जॉइंट सेक्रेट्री डॉ तेज प्रकाष सोनी ने बताया कि ज्यादातर मरीज कैंसर के शुरूआती लक्षणों को इग्नोर करते है और जब बीमारी बढने पर समस्या बढती है तब चिकित्सक के पास आते है। डॉ सोनी ने बताया कि नियमित जांच के जरिये इस रोग की पहचान भी शुरूआती अवस्था में की जा सकती है। एसोसिएषन ऑफ रेडिएषन ऑन्कोलॉजी ऑफ इंडिया, राजस्थान चैप्टर के प्रेसिडेंट डॉ एच एस कुमार और सचिव डॉ शंकर जाखड ने कॉन्फ्रेस के आयोजन को सफल बताया।

कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन डॉ सुप्रिया चौपडा ने लीवर कैंसर और डॉ वी मूर्ति ने प्रोस्टेट कैंसर के उपचार में मौजूद वर्तमान अनुसंधान और तकनिकों के बारे में जानकारी दी।कॉन्फ्रेंस का समापन पैनल डिस्कषन के साथ हुआ जिसमें डॉ नरेष जाखोटिया, डॉ दिनेष सिंह सहित देष के नामी चिकित्सा संस्थानों के आठ डॉक्टरों की ओर से प्रोस्टेट कैंसर विषय पर विस्तार से चर्चा की गई।

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