Bole Mukherjee citing British leader: Indira's name can never be erased from history pages

नयी दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ब्रिटेन के एक नेता का हवाला देते हुए आज कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम इतिहास के पन्नों से कभी नहीं मिटाया जा सकता। वह आज इंदिरा गांधी की जयंती के मौके पर यहां 1-सफदरजंग रोड पर एक फोटो प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। मुखर्जी ने 1978 के एक वाकये को बयां किया। उन्होंने कहा, “14 नवम्बर, 1978 (नेहरू जयंती के मौके पर ) को इंडिया-ब्रिटिश एसोसिएशन की ओर से एक रात्रिभोज का आयोजन किया गया था। 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई थी। रात्रिभोज में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल तत्कालीन ब्रिटिश उप प्रधानमंत्री माइकल फोर्ड ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि चुनाव में हार के बाद इंदिरा इतिहास के पन्नों से मिट गयी हैं, लेकिन ये लोग गलत हैं। ऐसा कभी नहीं होगा क्योंकि इंदिरा का नाम इतिहास के पन्नों से कभी नहीं मिटाया जा सकता। अभी इतिहास में उनकी कई और पारियां शामिल होने वाली हैं।” उन्होंने कहा, “इसके दो साल बाद (1980 में) लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बडी जीत हासिल की।” पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने सामाजिक विधेयकों और जनता को लेकर इंदिरा गांधी की प्रतिबद्धता को याद किया और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री 1971 में संसद की संवैधानिक शक्ति को पुन:स्थापित करने के लिए 24वां संशोधन लेकर आई थीं।

इंदिरा के राजनीतिक सफर को बयां करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ इंदिरा गांधी पंडित नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में मंत्री बनीं। फिर डेढ़ साल बाद देश की प्रधानमंत्री बनीं। वह कई सामाजिक विधेयक लाईं। बैंकों के राष्ट्रीयकरण का विधेयक लाईं। परंतु उस वक्त उच्चतम न्यायालय ने इन विधेयकों को रद्द कर दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इंदिरा गांधी सामाजिक विधेयकों को लेकर प्रतिबद्ध थीं। 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जनता से दो तिहाई बहुमत मांगा। उन्होंने जनता से कहा कि सामाजिक विधेयकों के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत है। जनता ने यह बहुमत दिया। इसके बाद 1971 में 24वां संशोधन लाया गया। इंदिरा गांधी संसद की संवैधानिक शक्ति को पुन:स्थापित करने के लिए यह विधेयक लाई थीं।’’ मुखर्जी ने कहा, ‘‘मैं इन चीजों को इसलिए बयां कर रहा हूं कि वह (इंदिरा गांधी) लोगों के लिए कितनी प्रतिबद्ध थीं। ’’ इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके जीवन की अलग अलग दौर की स्मृतियों से जुड़ी तस्वीरों की प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया है।

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