Big relief from the Session Court: Court has made five-star Trident hotel

चैन्नई की ई.आई.एच. एसोसिएटेड होटल्स कम्पनी को नहीं मिला स्टे
जयपुर। जलमहल के सामने, आमेर रोड पर स्थित 3०० करोड़ रुपए की पांच सितारा होटल ट्राईडेन्ट को जयपुर की एडीजे-17 कोर्ट से उस समय बडा झटका लगा, जब राजस्व मंत्री एवं कलक्टर के बाद अदालत ने भी विवादित जमीन को मंदिर के मानते हुए स्टे देने से इंकार करते हुए मध्यस्थता एवं सुलह एक्ट 1996 की धारा 9 में पेश किये गये प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। जज पवन कुमार ने आदेश में जिला प्रशासन की ओर से पहले किये गये भूमि रुपान्तरण, लीज पर देने सहित सभी कार्यवाहियों पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि सेटलमेंट विभाग ने विवादित जमीन 5 बीघा 12 बिस्वा को मंदिर माफी श्री कल्याण जी के नाम से दर्ज होना माना है और विधि का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि मंदिर माफी की जमीन को अन्तरित करने या भू-उपयोग परिवर्तित करने का अधिकार किसी को भी नहीं है। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार के अफसरों के द्बारा इस संबंध में लीज डीड निष्पादित भी की है तो भी विधि अनुसार मंदिर माफी की जमीन की लीज डीड निष्पादित नहीं की जा सकती है।

कम्पनी की यह थी मांग
प्रार्थी ई.आई.एच. एसोसिएटेड होटल्स लि०, मीनाम्बक्कम-चैन्नई जरिये मुख्य लेखाकार सोनम शर्मा की ओर से राज. सरकार जरिये एसीएस राजस्व एवं उपनिवेशन विभाग तथा जिला कलक्टर के खिलाफ पेश किये गये दीवानी वाद में कम्पनी का कहना था कि प्रार्थी ओबेराय ग्रुप की एक कंपनी है। इसी ग्रुप की एक अन्य कंपनी इन्डस ने उपरोक्त जमीन जरिये पंजीकृत पट्टा विलेख दिनांकित 14 फरवरी, 1995, 2० वर्ष की अवधि के लिए सरकार से पट्टे पर ली गई और अगले दिन पट्टा विलेख को एसआर-1 के द्बारा रजिस्टर्ड किया गया। 12 दिसम्बर, 2००6 को कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश से दोनो कंपनी एक हो गई। प्रार्थी ने निर्माण कर 15 अक्टूबर, 1997 से होटल शुरू की। लीज अवधि 14 फरवरी, 2०15 को पूरी होने से पूर्व ही अभिवृद्बि/नवीनीकरण के लिए कलक्टर के समक्ष अर्जी दी। कलक्टर ने 8 दिसम्बर, 2०14 को पट्टे की अवधि 13 फरवरी, 2०35 तक बढा दी। लेकिन कलक्टर ने 8 सितम्बर, 2०17 को लीज रद्द कर दी। कलक्टर ने राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी के 2 अगस्त, 2०17 को दिये आदेश का भी उल्लंघन किया है। ट्राईडेन्ट होटल की 31 मार्च को नेट बुक वेल्यू 2०,16,98, 353.67 रुपए एवं वार्षिक टर्न ओवर करीब 29 करोड़ रुपए है। होटल में 2०० कर्मचारी है एवं पर्यटकों की मार्च 2०18 तक अग्रिम बुकिंग हो रखी है, इसलिए कलक्टर के उक्त आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए प्रार्थी कम्पनी को बेदखल नहीं करें और ना ही होटल के उपयोग-उपभोग में कोई बाधा कारित करें।

सरकार ने किया विरोध
अदालत में वकील ए के जैन एवं राजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रार्थना पत्र पेश कर कंपनी के वाद का विरोध करते हुए खारिज करने की दलीले पेश की। पीपी के के भटनागर ने कहा कि उक्त जमीन को पुन:पूर्वत मंदिर के नाम मंत्री के आदेश 2 अगस्त, 2०17 से कर दिया गया है एवं इस आदेश की अनुपालना में कलक्टर द्बारा 8 सितम्बर को उक्त लीज डीड विड्रा की जा चुकी है। साथ ही यह भी कहा कि सेटल्ड व्यू है कि मंदिर की जमीन सदैव मंदिर की ही रहेगी, किसी महन्त व पुजारी को भूमि रुपान्तरण करा कर उसे अन्य व्यावसायिक कार्य में देने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने भी मंत्री के आदेश पर कोई स्टे नहीं दिया है। लिहाजा खारिज किया जाये।

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