sanyam lodha
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सिरोही। पूर्व विधायक संयम लोढा ने कहा कि दुनिया के इतिहास में 18वीं व 19वीं सदी अंग्रेजो की थी। 20वीं सदी अमेरिका की थी और डाॅ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के रास्ते पर चलकर 21वीं सदी भारत की होगी। उन्होने कहा कि अम्बेडकर एक विश्व प्रतिभा थे। जिन्होने युग परिवर्तन का काम किया। दलित आदिवासी समाज के लिये अपनी लेखनी से इस कलियुग में सतयुग का अनुभव कराया। अभी भी सामाजिक वातावरण को और भी बेहतर करने की आवश्यकता है। प्रशासनिक तंत्र को अधिक संवेदनशीलता व सजगता से काम करने की आवश्यकता है। लोढा सिन्दरथ में डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा अनावरण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होने उपस्थित लोगो से यह आह्वान किया कि वे अम्बेडकर के सच्चे अनुयायी है तो यहां से संकल्प लेकर उठे की जाति व धर्म के किसी भी शोषण व अन्याय को स्वीकार नही करेंगे। उन्होने कहा कि अपने भीतर से डर निकाले और मन को मजबूत करके अपने नागरिक अधिकारो की रक्षा करें। उन्होने कहा कि किसी के सामने इस कारण से नीचे नही बैठना है कि हम अनुसूचित जाति के है। लोढा ने लोगो को देश की मौजूदा हालत के प्रति आगाह किया। उन तत्वो के प्रति सजग रहने की जरूरत है जिस कारण अम्बेडकर को बौद्ध धर्म ग्रहण करना पडा। लोढा ने हाल ही में की गई पंचायत सहायक भर्ती में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति व पिछडे वर्ग का आरक्षण नही करने पर सवाल उठाये। उन्होने कहा कि संवैधानिक प्रावधानो की हत्या की जा रही है। जिसका डटकर विरोध किया जायेगा। अनुसूचित जाति पर सबसे ज्यादा अत्याचार होते है। लेकिन पुलिस प्रशासन में उनकी भागीदारी नगण्य है। इसी तरह जिले में राशन की दूकानो के आवंटन में भी अनुसूचित जाति की घोर उपेक्षा की गई है।
अनुसूचित जाति व जनजाति की सैकडो बस्तियों में विद्यालय बंद किये गये है। अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों को दो-दो साल से छात्रवृतिया नही दी जा रही है। बी.पी.एल. परिवारो को एक रूपये में मिलने वाला गेहूँ भी बंद कर दिया गया है। समारोह में डाॅ. ओमआचार्य, कन्हैयालाल परिहार, भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी, भाजपा युवा मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष घनश्याम मेघवाल आदि ने भी विचार प्रकट किये। समारोह में वेलांगरी सरपंच प्रदीप मेघवाल, सिन्दरथ सरपंच गेरी मेघवाल, खाम्बल सरपंच डूंगाराम मेघवाल, पूर्व उपप्रधान मोतीसिंह देवडा, सिन्दरथ उपसरपंच आनंदसिंह व पूर्व जिला परिषद सदस्य हरिश राठौड आदि उपस्थित थे। इससे पूर्व लोढा, चैधरी व घनश्याम मेघवाल ने फीता काटकर व वस्त्र हटाकर प्रतिमा का अनावरण किया।

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