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The Union Minister for Science & Technology, Earth Sciences and Environment, Forest & Climate Change, Dr. Harsh Vardhan visiting an exhibition, on the occasion of the World Elephant Day 2017, in New Delhi on August 12, 2017.
 केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज ‘गज यात्रा’ का उद्घघाटन किया। विश्व हाथी दिवस के अवसर पर हाथियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान ‘गज यात्रा’ का मूल उद्देश्य है। यह अभियान हाथियों की बहुलता वाले 12 राज्यों में चलाया जाएगा। इस अवसर पर उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने अनुरोध किया कि देश के सभी राज्यों में हाथियों की संख्या के लिए रणनीति तैयार करे। मन्त्री महोदय ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के प्रयास किए जाने चाहिए ताकि मनुष्य और जानवर के बीच द्वंद समाप्त हो जाए। उन्होने कहा कि हाथियों और जंगली जानवरों को नुकसान पहुँचाने और उनका शिकार करने वाले लोगों के खिलाफ अभियान चलाया जाना चाहिए। डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों से आह्वान किया कि वे जानवरों के संरक्षण के प्रति रक्षात्मक, अभिनव और नए विचार सुझाए। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हाथियों के संरक्षण के लिए प्रयासों का असर अगले विश्व हाथी दिवस के अवसर पर जनगणना में उनकी संख्या की बढोत्तरी के रूप में दिखाई देना चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हाथियों के संरक्षण के लिए आन्दोलन चलाए जाने की आवश्यकता है। इसमे सभी लोगों का सहयोग चाहिए ताकि हाथियों और अन्य वन्य जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होने कहा कि ऐसे अभियान के लिए बच्चों की ऊर्जा का भरपूर्ण उपयोग किया जा सकता है। मन्त्री महोदय ने कहा कि प्रमुख सार्वजनिक स्थलों संसद, राष्ट्रपति भवन, मन्त्रालय के परिसर इन्दिरा पर्यावरण भवन में बेकार वस्तुओं से हाथियों की प्रतिकृति लगाई जाने का प्रयास किया जा रहा है। पर्यावरण मन्त्री ने हाथियों पर अखिल भारतीय जन-गणना 2017 जारी की। राइट ऑफ पेसेज दस्तावेज भी जारी किया गया। यह दस्तावेज भारत में हाथियों के कोरिडोर के बारे में जानकारी मुहैया करता है। सन् 2012 से 2017 के बीच उठाए गए संसदीय प्रश्नोत्तर पर आधारित एक संकलन एनविस सेन्टर, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ- इण्डिया प्रोजेक्ट एलिफेन्ट डिविजन एवं मन्त्रालय द्वारा जारी किया गया है। इसका शीर्षक ‘ग्लिम्पसिस ऑफ इनीशिएटिव टेकन फोर एलिफेन्ट कन्जर्वेशन इन इण्डिया’ (भारत में गज संरक्षण के प्रयासों की झलक) हैं। इस संकलन में  पर्यावरण के विभिन्न मुद्दों को उठाया गया है यह कॉम्पेक्ट डिस्क के रूप में उपलब्ध कराई गई है। वैज्ञानिकों, नीति निर्धारकों, तकनीकी विशेषज्ञों और अन्य व्यक्तियों को इस डिस्क के जरिए पर्याप्त जानकारी प्राप्त हो सकेगी। बाद में डॉ. हर्षवर्धन ने इस अवसर पर मौजूद बच्चों को हाथियों के संरक्षण की शपथ भी दिलाई।
वन महानिदेशक और मन्त्रालय में विशेष सचिव सिद्धान्ता दास, प्रोजेक्ट एलिफेन्ट के निदेशक आर.के.श्रीवास्तव, वाइल्ड लाईफ ट्रस्ट ऑफ इण्डिया के निदेशक विवेक मेनन और प्रोफेसर आर. सुकुमार ने भी उपस्थित लोगों को सम्बोधित किया।अभियान के दौरान कलाकारों और दस्तकार हाथियों की विषय वस्तु पर रोड़ शो करेंगे। हाथियों की बहुलता वाले 12 राज्यों में वहां की स्थानीय कला और दस्तकारी में हाथी और अन्य वन्य जानवरों के प्रसंग को शामिल किया जाएगा। मन्त्रालय द्वारा 2012 में जारी किया गया ‘गजु’ शुभंकर हाथी इस अभियान में प्रमुखता से शामिल किया जाएगा। यह अभियान वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट ऑफ इण्डिया द्वारा चलाया जाएगा।
-विश्व हाथी दिवस- संक्षिप्त परिचय
विश्व हाथी दिवस 12 अगस्त को पूरे विश्व में मनाया जाता है इसका प्रमुख उद्देश्य हाथियों का संरक्षण है। ‘विश्व हाथी दिवस’ जंगली हाथियों की संख्या, उनकी बेहतरी और प्रबन्धन के बारे में जानकारी मुहैया कराना है। आईयूसीएन की रेड लिस्ट में अफ्रीकन हाथी, ‘कमजोर हाथी’ एवं एशियन हाथी ‘लुप्त प्राय’ श्रेणी में दिखाए गए है। हाथियों की जनसंख्या के बारे में प्राप्त आकलन के अनुसार दुनियां भर में 400,000 अफ्रीकन हाथी और 40,000 एशियन हाथी है।
विश्व हाथी दिवस हाथियों के संरक्षण, गैर-कानूनी शिकार और तस्करी को रोकने, हाथियों के बेहतर इलाज और पकडे गए हाथियों को अभयारणयों में भेजे जाने के लिए जागरूकता प्रदान करने की दिशा में कार्य के लिए प्रेरित करता है। हाथी भारतीय विरासत का प्रमुख भाग है भारत सरकार इस दिन को हाथियों के प्रति जागरूकता और इनके संरक्षण के प्रयासों को बढाने के लिए मनाती है यद्यपि हाथियों की राष्ट्रव्यापी जनगणना हर पाँच वर्ष में की जाती है लेकिन इस वर्ष यह जनगणना एक वर्ष पूर्व ही की गई है। विश्व हाथी दिवस की शुरूवात कनाडा की फिल्म निर्माता पेक्ट्रीका सिम्स और केनाजवेस्ट पिक्चर्स के श्री माइकल क्लार्क, थाइलैंण्ड के एलिफेन्ट री इन्ट्रोडक्शन फॉउन्डेशन के महासचिव सिवापॉर्न दरदारेन्डा द्वारा 2011 में की गई थी। आधिकारिक रूप से इसका शुभारम्भ 12 अगस्त, 2012 को सुश्री सिम्स और एलिफेन्ट री इन्ट्रोडक्शन फॉउन्डेशन ने किया था। आज दुनियां के 65 से भी अधिक वन्य जीव संगठन, कई व्यक्ति और बहुत से देश इस अभियान का समर्थन कर रहे है।

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