देश में संविधान प्रदत्त अधिकार और कानून लागू होने के बाद भी पंच-पटेलों और खाप पंचायतों के मनमाने फैसले जनता पर भारी पड़ रहे हैं। देश में ये खाप पंचायतें व पंच-पटेलों की दादागिरी उत्तर भारत में सर्वाधिक है। इनके तुगलगी फरमानों की सर्वाधिक मार पीडित पक्षों पर ज्यादा पड़ती है। शादी, शिक्षा, नाता-प्रथा, प्रेम विवाह जैसे मामलों में तो खाप पंचायतों व पंच पटेलों के कई फैसले जानलेवा साबित हो चुके हैं। बात बात पर जात व समाज से बहिष्कृत करने और भारी भरकम जुर्माना लगाना इनके लिए बहुत ही आसान काम है। फैसले सुनाते वक्त ये ना तो कानून की परवाह करते हैं और ना ही प्रभावित परिवारों की साख, आर्थिक स्थिति के बारे में। मनमानी पूर्वक फैसलों व जुर्माने लगा देते हैं, जिससे कुछ परिवार के लोग तो सदमे में आकर सुसाइड कर चुके हैं। राजस्थान में हाल ही एक पिता की इसी तरह के तुगलगी फैसले से मौत हो चुकी है। अब पाली में भी ऐसा ही एक मनमाना फैसला सामने आया है। पाली में पंच-पटेलों ने लड़की को पढ़ाई जारी रखने पर परिवार को समाज से बाहर निकाल दिया। यहीं नहीं पंचों ने परिवार पर 3 लाख रुपए का हर्जाना भी ठोंक दिया। पंचों ने तमाम हदें पार करते हुए पिता को यह भी फरमान जारी कर दिया कि उसकी बेटी की शादी पंच-पटेले जहां बोलेंगे, वहां कर देना। इस फैसले से परिवार व लड़की सदमे में आ गए। अब मामला पुलिस में दर्ज करवाया है। पीडित पिता का कहना है कि उसकी बेटी पढऩा चाहती है और बंजारा समाज के पंच पटेल उसकी बेटी की शादी के लिए आए थे, लेकिन बेटी की पढ़ाई की ईच्छा को देखते हुए उसने पटेलों को शादी कर दिया था। इससे नाराज होकर पटेलों ने उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया। तीन लाख का हर्जाना लगा दिया और बेटी की पढ़ाई पर रोक लगा दी। पटेलों के इस फैसले से पूरा परिवाद सदमे में आ गया। बेटी की पढ़ाई प्रभावित हो गई। भाई सदमे में आकर बीमार रहने लगा और उसकी बाद में मौत हो गई। लगातार प्रताडऩा से तंग आकर पीडित पक्ष ने पंच पटेलों के खिलाफ अब पुलिस प्राथमिकी दर्ज करवाई है। यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी खाप पंचायतों व पंच पटेलों के इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। कोई नाबालिग बच्ची की शादी नहीं करने पर पीडित परिवार को ही बहिष्कृत करके जुर्माना लगा रहा है तो कोई प्रेम विवाह करने वाले युवक-युवतियों के परिवार वालों को सामाजिक स्तर पर प्रताडि़त करता है। लड़कियों के पढऩे पढ़ाने पर बंदिशें लगाने से नहीं चूकते। ऐसे मनमाने व तुगलगी फरमान तब हो रहे हैं, जब देश में संविधान प्रदत्त कानून व्यवस्था लागू है। सभी को कानूनी अधिकार मिले हुए हैं। कोई किसी की स्वतंत्रता और अधिकारों पर अतिक्रमण नहीं कर सकता है और ना ही कुठाराघात कर सकता है। बावजूद इसके सार्वजनिक मीटिंग करके पंच पटेल और खाप पंचायत कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। मनमर्जी से फैसले और जुर्माना ठोक रहे हैं। सरकार को ऐसी खाप पंचायतों व पंच पटेलों की संस्थाओं व समाजों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। तभी समाज में कानून की पालना होगी।

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