नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को भारतीय सेना ने झटका दे दिया है। इसके पीछे कारण जो उभरकर सामने आया है वह देश में बनी राइफल को लेकर है। जहां सेना ने देश में बनी इन राइफलों को पूरी तरह असंतोषजनक व अविश्वसनीय करार दिया है।

ऐसे में भारतीय सेना की ताकत को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया पीएम मोदी का मेक इन इंडिया इस मामले में असफल ही साबित हो हुआ है। इस इन राइफल की ट्रायल पश्चिम बंगाल के इच्छपुर में हाल ही 13-14 जून को हुआ था। ट्रायल में यह राइफल उम्मीदों पर खरी नहीं उतरने पर माना गया कि इसमें ओर सुधार की जरुरत है। वैसे यह दूसरा अवसर है जब सेना ने इस राइफल को अस्वीकार कर दिया है।

इस मामले में सेना की ओर से जो प्रतिक्रिया सामने आई उसमें कहा गया कि वर्तमान स्थिति को देख तो यह राइफल सभी जरुरतों को पूरा नहीं कर पा रही है जो काफी निराशजनक है। इसकी डिजाइन पर विस्तृत विश्लेषण की सख्त जरुरत है। सेना का कहना है कि 7.62 351 एमएम वाली इस राइफल में अनेक खामियां हैं। बता दें इस राइफल को ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (बीएफबी) की ओर से विकसित किया जा रहा था। इन राइफलों के तैयार होने से आर्मी में दो लाख असॉल्ट राइफ्लस की कमी को दूर करने का एक प्रयास किया जा रहा था। जबकि इसे सेना के पास 1988 से ही मौजूद इंसास राइफल का माना जा रहा था।

-ट्रॉयल में सामने आई खामियां
ओएफबी अधिकारी का कहना है कि सेना ने पहले राउंड के बाद इस पर संतोष जताया था। साथ ही सकारात्मक रिपोर्ट दी थी। अब जब सेना ने इसे खारिज कर ही दिया है तो अब सेना, डीआरडीओ व रक्षा उत्पादन विभाग के अधिकारियों की हाई लेवल मीटिंग के बाद आगे के विकल्पों पर विचार किया जाएगा। सैन्य सूत्रों के अनुसार पहले राउंड के बाद अनेक खामियां सामने आई वहीं 8 में से 4 राइफलें तो फायरिंग के लिए भी फिट नहीं मिली। मध्यप्रदेश के महू स्थित इंफैट्री स्कूल में हुई ट्रायल में भी फिट नहीं पाई गई। सेना ने इसकी रि-डिजाइनिंग से लेकर सैफ्टी मैकेनिज्म व अधूरे साइटनिंग सिस्टम पर गहरी चिंता व्यक्त की। एक रिपोर्ट के अनुसार सेना को 1.85 लाख राइफल चाहिए। जबकि 65,000 राइफल की तत्काल जरुरत है।

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