नई दिल्ली। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की मुश्किलों में निर्वाचन आयोग ने इजाफा कर दिया है। निर्वाचन आयोग ने लाभ के पद के मामले में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की याचिका को खारिज कर दिया है। इस संबंध में यद्दपि निर्वाचनक आयोग का फैसला नहीं आया है। फिर भी आयोग ने आप पार्टी के तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया।

बता दें 31 मार्च 2015 को आम आदमी पार्टी ने 21 विधायकों (आदर्श शास्त्री, अलका लाबा, शरद कुमार, शिव चरण गोयल, राजेश गुप्ता, प्रवीण कुमार, कैलाश गहलोत, सरिता सिंह, मदन लाल, संजीव झा, नरेश यादव, विजेंद्र गर्ग, जरनैल सिंह, राजेश ऋषि, सुखवीर सिंह, अनिल कुमार वाजपेयी, सोम दत्त, अवतार सिंह कालका, जरनैल सिंह (रजौरी गार्डन), मनोज कुमार व नितिन त्यागी) को संसदीय सचिव बनाया था। बाद में इस मामले में 19 जून 2015 को अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के समक्ष आप के संसदीय सचिवों की सदस्यता को रद्द करने के मामले में आवेदन दिया था। मामले को तूल पकड़ता देख केजरीवाल कैबिनेट ने संसदीय सचिवों को लाभ के पद के दायरे से बाहर करने का प्रस्ताव पास किया था।

जबकि 2015 के मई माह में चुनाव आयोग के पास एक जनहित याचिका भी पेश की गई थी। इसी जनहित याचिका को आधार मानकर आयोग ने सभी 21 विधायकों को एक-एक कर मार्च 2016 से नोटिस के जरिए बुलाने का फैसला लिया था। आप विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के साथ आप पार्टी भाजपा व कांग्रेस के निशाने पर आ गई। वहीं जब चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा तो विपक्ष ने आप पार्टी पर अपने हमले तेज कर दिए। ऐसे में चुनाव आयोग की ओर से 21 विधायकों की याचिका खारिज होने की स्थिति में एक बार विपक्ष आप पार्टी को निशाना बनाने की तैयारी में है।

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